chhattisagrhTrending Now

Chhattisgarh Naxal News: माओवादियों ने फिर दिया शांति वार्ता का प्रस्ताव, कहा- हम तैयार हैं, लेकिन …

Chhattisgarh Naxal News: रायपुर। सप्ताह भर बीते नहीं कि माओवादियों ने एक बार फिर से शांति का प्रस्ताव सरकार के सामने रखा है. भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) उत्तर-पश्चिम सब जोनल ब्यूरो की ओर से जारी बयान में शांति वार्ता के लिए तैयार होने की बात कहते हुए इसके लिए अनुकूल माहौल बनाए जाने की जरूरत बताई है. उन्होंने इस पेशकश का मुख्य उद्देश्य बस्तर में हो रहे हिंसा (हत्याकांड) तुरंत रोकना बताया है.

सप्ताहभर पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के छत्तीसगढ़ दौरे से पहले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) केंद्रीय समिति की ओर से तेलगु में जारी बयान के जरिए शांति वार्ता का प्रस्ताव दिया गया था. इसके बाद अब भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) उत्तर-पश्चिम सब जोनल ब्यूरो की ओर हिन्दी में शांति वार्ता का प्रस्ताव दिया गया है. ताजा बयान में पूर्व में दिए गए बयान का जिक्र करते हुए कहा कि वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने की मांग को गृह मंत्री विजय शर्मा ने ठुकरा दिया था. इससे जाहिर है कि सरकार अपनी वर्तमान नीति को जारी रखना चाहती है.

इसके साथ ही सरकार की आत्मसमर्पण की नीति को समस्या के पूर्ण समाधान बताए जाने का भी विरोध किया गया है. माओवादियों ने कहा कि शांति वार्ता की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने संबंधित निर्णय लेने के लिए हम कुछ नेतृत्वकारी साथियों से मिलना है. स्थानीय नेतृत्व का राय लेना भी जरूरी है. लगातार चल रहे अभियानों के बीच में यह सब नहीं हो पाएगा. ऐसे में अनुकूल माहौल के लिए कगार अभियान को रोकना जरूरी है, वार्ता का प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अनुकूल माहौल बनाना जरूरी है, यह सरकार की जिम्मेदारी है.

संगठनों से सहयोग की अपील
माओवादियों ने सरकार के साथ-साथ देश के सभी जनवादी प्रेमियों बुद्धिजीवियों, मानवाधिकार संगठनों, सामाजिक संगठन व कार्यकर्ताओं, जनपक्षधर पत्रकारों से अपील की कि शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल निर्मित करने की हमारी मांग के समर्थन में आगे आएं. सरकार और माओवादियों के बीच में शांति वार्ता के लिए बनी समिति के साथियों से भी अपील कर रहे हैं कि इस प्रक्रिया को आगे ले जाने का पहल करें.

नेतृत्व के भागने की बात को नकारा

बस्तर से नेतृत्व दूसरा राज्यों में भाग जाने की बात सही नहीं है. नेतृत्व अपने जिम्मेदारियों के तहत आना जाना और आंदोलन के जरूरतों के मुताबिक तबादले साधारण प्रक्रिया है, जिम्मेदारियों को छोड़कर कोई भागे नहीं. यह प्रचार मानसिक युद्ध का हिस्सा है अगर ऐसा भागने का प्रचार सच है तो हमारे एसजडसी मेंबर कामरेड रेणुका उर्फ चैते को मदद करने वाले सैकड़ों समर्थक रहने के बावजूद अस्वस्थता की स्थिति में भी अपनी जिम्मेदारियों को नहीं छोड़ी, जनता के लिए अपनी जान कुर्बान की.

विकास विरोधी स्वरूप से इंकार
माओवादी केवल यहीं नहीं रुके. उन्होंने अपने विकास विरोधी स्वरूप को साजिशन पेश करने की बात कही. साथ ही जनता के सरोकार से जुड़े शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, कुपोषण जैसी समस्याओं के हल निकालने पर जोर दिया. कुछ प्रकरणों में हुई गलती के लिए जनता से माफी मांगने की भी बात कही. इसके साथ जल-जंगल-जमीन से बेदखल कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली परियोजनाओं के विरोध की बात कही.

नक्सल साथियों से की अपील
केवल बात सरकार तक ही नहीं रुकी. सुरक्षा बल के अभियान से कैडर में मची आपाधापी का सबूत देते हुए माओवादियों ने बयान में कहा कि उत्तर – पश्चिम सब जोन के पार्टी कमेटियों, कमांडों व कमांडरों से अनुरोध है कि शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने के दिशा में गतिविधियां रहनी चाहिए. यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि सरकार अभी तक हमारे मांग को नहीं मानी है, इसलिए सभी नियम और सावधानियों का सतर्कता के साथ पालन करें, हमलों का शिकार न बने. मीडिया के उकसाने वाले प्रचार एवं पुलिस अधिकारियों के उकसाने वाली बयानों का प्रभाव में न आएं.

सुरक्षाबल के जवानों से की अपील
माओवादियों ने अंत में पुलिस जवानों से अपील की कि पार्टी ने पुलिस जवानों को कभी दुश्मन के तौर पर नहीं देखते. इसे लेकर बार बार परचा-पोस्टरों के जरिए अपील जारी किए थे. जवानों को समझाया कि हम आपस में लड़ने की स्थिति पैदा की गई है. शांति वार्ता का हमारे यह प्रयास का समर्थन करें, जनता व हमारे कैडर अपने ही लोग है, पर गोली मत चलाएं.

advt--0005-april
advt--0007-april
advt-april2025-001
Share This: