CG RAID UPDATE : सत्यम बालाजी ग्रुप में आईटी छापे का काकीनाड़ा पोर्ट से क्या कनेक्शन ? जानिए …
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CG RAID UPDATE: What connection does the IT raid in Satyam Balaji Group have with Kakinada Port? Know…
रायपुर। आयकर विभाग ने हाल ही में छत्तीसगढ़ की सत्यम बालाजी राइस कंपनी से जुड़ी ठिकानों पर छापेमारी की, जिसमें मध्य भारत की सबसे बड़ी कर चोरी का पर्दाफाश हुआ है। यह कर चोरी 1000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की निकली है। छापे का कनेक्शन आंध्र प्रदेश के काकीनाड़ा पोर्ट से जुड़ा है, जहां से सत्यम बालाजी ग्रुप द्वारा चावल विदेश भेजा जाता था।
नवम्बर 2024 में काकीनाड़ा पोर्ट पर आंध्र प्रदेश के उप मुख्यमंत्री के. पवन कल्याण ने एक जांच के दौरान सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) का चावल पकड़ा था, जिसके बाद राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियां सक्रिय हो गईं। छापेमारी में यह पता चला कि सत्यम बालाजी राइस कंपनी के द्वारा बिना अनुमति के विदेशों में चावल निर्यात किया जा रहा था।
पोर्ट से होती थी चावल की अवैध निर्यात
29 नवम्बर को काकीनाड़ा पोर्ट पर उप मुख्यमंत्री के पवन कल्याण की अगुवाई में हुए ऑपरेशन में पाया गया कि एक जहाज में भारी मात्रा में PDS का चावल भरा हुआ था, जिसे अवैध तरीके से निर्यात किया जा रहा था। चावल में ‘Fortified Rice Kernel (FRK)’ मिला हुआ था, जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली का चावल होता है। इसके बाद जांच में सामने आया कि इस तरह का चावल विदेशों में भेजा जा रहा था।
5 साल में 45 हजार करोड़ का अवैध कारोबार
पवन कल्याण ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि काकीनाड़ा पोर्ट से पिछले 5 वर्षों में करीब 45 हजार करोड़ रुपये का अवैध चावल विदेश भेजा गया। आंध्र प्रदेश में गरीबों के लिए मिलने वाला चावल दलालों के माध्यम से 24 रुपये प्रति किलो खरीदी जाती थी और इसे 74 रुपये प्रति किलो में अफ्रीका और अन्य देशों में बेचा जाता था।
सत्यम बालाजी राइस कंपनी का रसूख
पोर्ट अधिकारियों के अनुसार, सत्यम बालाजी राइस कंपनी ने बैंक गारंटी पर चावल की निर्यात की अनुमति प्राप्त की थी, जो कि सरकार द्वारा PDS चावल को एक्सपोर्ट करने के लिए दी गई थी। इस प्रक्रिया से यह स्पष्ट होता है कि कंपनी का रसूख किस हद तक था।
आयकर विभाग की छापेमारी और आगे की जांच
आयकर विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए छत्तीसगढ़ और काकीनाड़ा स्थित सत्यम बालाजी राइस के तीन प्रमुख गोदामों पर छापेमारी की। इस दौरान बड़ी मात्रा में चावल जब्त किया गया। छापेमारी में रायपुर, दुर्ग, भिलाई, बिलासपुर, गोंदिया और काकीनाड़ा सहित 22 ठिकानों पर दबिश दी गई। इस कार्रवाई में छत्तीसगढ़ के आईटी अधिकारियों और सीआरपीएफ की 150 सदस्यीय टीम को तैनात किया गया था।
कच्चे का काम और कर चोरी
जानकारों के मुताबिक, यह पूरा मामला ‘कच्चे का काम’ के तहत होता था, जिसमें सरकारी चावल दलालों के माध्यम से राइस मिलों तक पहुंचता था और फिर इस चावल का कोई हिसाब-किताब नहीं होता था। यही प्रक्रिया कंपनी को करोड़ों रुपये की कमाई और टैक्स की चोरी करने का मौका देती थी।
इस अरबों की कर चोरी के मामले का खुलासा होने के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि किस तरह यह गड़बड़ी सालों से चलती रही और इसमें किसकी भूमिका रही। अब यह देखना होगा कि सरकार इस मामले में ठोस कदम उठाती है या फिर सब कुछ पहले जैसा चलता रहेगा।