CG NEWS : पूर्व वन मंत्री के सवाल पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर का करारा जवाब, गागड़ा पहले बताएं कि टायगर रिजर्व में उन्होंने 229.10 करोड़ रूपये कैसे खर्च किये ?
CG NEWS: Forest Minister Mohammad Akbar’s befitting reply to former Forest Minister’s question, Gagda first tell how he spent Rs 229.10 crore in Tiger Reserve?
रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व वन मंत्री महेश गागड़ा ने राज्य सरकार से वर्ष 2019 से 2022 यानी तीन वर्षों में प्रदेश के तीन टायगर रिजर्व में 183.77 करोड़ रूपये खर्च होने पर सवाल उठाये थे। प्रदेश के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने दस्तावेज जारी कर बताया है कि महेश गागड़ा के कार्यकाल में चार वर्षों में तीन टायगर रिजर्व में 229.10 करोड़ रूपये खर्च किये गये थे। वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने पूर्व मंत्री महेश गागड़ा से पूछा है इतनी बड़ी राशि खर्च किये जाने के बावजूद गागड़ा के कार्यकाल में प्रदेश में बाघों की संख्या 46 से घटकर मात्र 19 क्यों रह गई, इसका जवाब उन्हें देना चाहिए।
टायगर रिजर्व में बाघ ही नहीं अपितु अन्य प्राणी भी रहते हैं –
पूर्व मंत्री महेश गागड़ा ने वर्तमान सरकार से 183.77 करोड़ रूपये खर्च के बारे में स्थिति स्पष्ट करने कहा था। इसका जवाब देते हुए वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि प्रदेश में तीन टायगर रिजर्व अचानकमार, उदंती-सीतानदी एवं इंद्रावती टायगर रिजर्व है। विगत तीन वर्षों में इन टायगर रिजर्व में क्रमशः 81.98, 32.80 एवं 68.99 करोड़ रूपये खर्च हुए। महेश गागड़ा ने कहा था कि 19 बाघों पर 183.77 करोड़ रूपये खर्च कर दिये गये। इसके बारे में वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा है कि वन मंत्री रहे महेश गागड़ा को इतना तो मालूम रहना चाहिए कि टायगर रिजर्व में केवल बाघ ही नहीं अपितु अन्य प्राणी भी रहते हैं, जिनके लिये समेकित रूप से पारिस्थितिकीय तंत्र का संरक्षण एवं विकास के कार्य किये जाते हैं, जो केवल बाघ के लिये ही नहीं बल्कि सभी प्राणियों के लिये होता है। महेश गागड़ा ने जिसतरह सवाल उठाये हैं उससे स्पष्ट होता है कि वन मंत्री रहने के बावजूद उन्हें टायगर रिजर्व के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है।
इस लिये गठित किया जाता है टायगर रिजर्व –
टायगर रिजर्व पारिस्थितिकीय तंत्र के समेकित संरक्षण एवं विकास के लिये गठित किया जाता है। शाकाहारी वन्य जानवरों एवं अन्य वन्य जीवों के संरक्षण के साथ संपूर्ण पारिस्थितिकीय तंत्र का संरक्षण को प्राथमिकता दी जाती है। टायगर रिजर्व का कोर जोन एवं बफर जोन के तौर पर प्रबंधन किया जाता है। कोर जोन वन्य जानवरों का स्त्रोत क्षेत्र होता है जो बफर क्षेत्र तक विचरण करते हैं। टायगर रिजर्व में प्रमुख रूप से रहवास विकास के अंतर्गत शाकाहारी वन्य जानवरों के लिये उपयुक्त चारागाह क्षेत्र, जल स्त्रोत का संरक्षण एवं विकास कार्य किया जाता है एवं उनके सुरक्षा हेतु पेट्रोलिंग कैम्प निर्माण, वन मार्गों का उन्नयन तथा नियमित गश्ती की जाती है। टायगर रिजर्व के अंदर अभी भी गांव स्थित है, उनका ईको विकास कार्य एवं मवेशियों का टीकाकरण किया जाता है।
तीन वर्षों में जरूरी मद में इस तरह खर्च की गई राशि –
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि प्रदेश के तीनों टायगर रिजर्व में विगत तीन वर्षों में अग्नि सुरक्षा, पेट्रोलिंग, फायर वाचर, टीकाकरण, सूचना प्रोद्योगिकी, डीमार्केशन आदि के कार्यों में 36.04 करोड़, रहवास सुधार, चारागाह विकास, बांस भिर्रा की सफाई, खरपतवार उन्नमूल आदि के कार्यों में 66.34 करोड़, वन्यप्राणियों के पेयजल व्यवस्था हेतु तालाब निर्माण, स्टापडेम, एनीकट, तालाब गहरीकरण, वाटर होल, झिरिया आदि के कार्यों में 63.29 करोड़, निर्माण कार्यों के तहत रपटा, पुलिया, वन मार्ग, पेट्रोलिंग कैम्प, विभिन्न प्रकार के भवन निर्माण में 12.04 करोड़, नैसर्गिक पर्यटन के विकास कार्य में 1.34 करोड़ तथा अन्य कर्मचारी कल्याण सुविधा हेतु राशि रूपये 4.72 करोड़ इस तरह तीन वर्ष में 183.77 करोड़ रूपये व्यय हुआ है।
27 बाघ कम कैसे हो गये –
प्रदेश के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने दस्तावेज जारी कर खुलासा किया है कि पूर्व मंत्री महेश गागड़ा के कार्यकाल में 2014-15 से 2018-19 तक प्रदेश के तीनों टायगर रिजर्व में 229.10 करोड़ रूपये खर्च किये गये हैं। मोहम्मद अकबर ने महेश गागड़ा से कहा कि वे बताये कि 229.10 करोड़ रूपये की राशि कैसे खर्च कर दी गई। मोहम्मद अकबर ने भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून द्वारा जारी की गई रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि वर्ष 2014 में भारतीय वन्यजीव संस्थान ने छत्तीसगढ़ तीनों टायगर रिजर्व ने 46 बाघ होने की जानकारी दी थी। जो कि वर्ष 2018 में घटकर 19 रह गई थी। महेश गागड़ा ये बताये कि चार वर्षों के कार्यकाल में 27 बाघ कैसे कम हो गये। मोहम्मद अकबर ने यह कहा है कि महेश गागड़ा ने अपने बयान से खुद ही स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें टायगर रिजर्व के बारे में कोई जानकारी नहीं होने के कारण उन्होंने विभाग को किस तरह चलाया होगा।