CG NEWS : डॉ. रमन सिंह ने 85वीं अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में संवैधानिक मूल्यों पर की चर्चा
CG NEWS: Dr. Raman Singh discussed constitutional values in the 85th All India Presiding Officers Conference
पटना। छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने बिहार की राजधानी पटना में आयोजित “85वीं अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन” में हिस्सा लिया। इस सम्मेलन में उन्होंने “संवैधानिक मूल्यों को सशक्त बनाए रखने में संसद और राज्य विधान मंडलों के योगदान” पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
अपने संबोधन की शुरुआत में डॉ. रमन सिंह ने भारतीय संसदीय लोकतंत्र की ऐतिहासिक परंपराओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत में संविधान के आधार पर शासन व्यवस्था की नींव बहुत पुरानी है, जो वैदिक काल से ही परंपरागत सभा, समिति और गण जैसी संस्थाओं से जुड़ी रही है। इसके साथ ही उन्होंने पटना की ऐतिहासिक भूमि को याद करते हुए कहा कि यहां पर मौर्य वंश की शुरुआत हुई थी, जो भारतीय शासन के पहले दृष्टिकोण का प्रतीक है।
डॉ. रमन सिंह ने भारतीय संविधान की विशेषताओं पर भी चर्चा की, विशेष रूप से इसकी शुरुआत ‘हम भारत के लोग’ और समापन ‘इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मा समर्पित करते हैं’ से हुई है। उन्होंने बताया कि यह संविधान भारतीय जनता की भावना का प्रतिबिंब है, और भारतीय लोकतंत्र की सफलता के पीछे जनता की शक्ति है।
उन्होंने उदाहरण के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त करने का हवाला दिया, जो भारत की एकता और अखंडता को सशक्त बनाने में एक महत्वपूर्ण कदम था। इसके साथ ही उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार के “भोजन का अधिकार कानून” और “कौशल उन्नयन का अधिकार कानून” की सराहना की, जिनसे राज्य के नागरिकों को सामाजिक और शैक्षिक अधिकारों का लाभ मिल रहा है।
आगे डॉ. रमन सिंह ने अगले 25 वर्षों में संसद और विधान मंडलों के योगदान पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए संसद और विधान मंडलों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल तकनीकों से लैस करना आवश्यक होगा। इसके साथ ही जनप्रतिनिधियों को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने और जनता तक उनकी पहुँच बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा उप-सभापति हरिवंश सिंह, बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव और अन्य प्रमुख गणमान्य व्यक्तित्व भी मौजूद थे।
डॉ. रमन सिंह के इस संबोधन ने संवैधानिक मूल्यों और लोकतंत्र के महत्व को रेखांकित किया और आने वाले वर्षों में संसद और विधान मंडलों के योगदान को मजबूती से आगे बढ़ाने का आह्वान किया।