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CG NEWS : मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार ने लिखा पूर्व मुख्यमंत्री को पत्र …..

CG NEWS: Chief Minister’s media advisor wrote a letter to the former Chief Minister….

आपकोजनादेश दिवसकी विलंबित बधाई। आशा है अब आप सानंद होंगे। उम्मीद है अब आपका गुस्सा भी थोड़ा ठंडा हुआ होगा।आपके अहं को ठेस पहुचाने के लिए मैं जरा भी शर्मिंदा तो नहीं हूं, पर आपको हुई तकलीफ के लिए थोड़ा बुरा महसूस कर रहा हूं। दुःखइस बात का हुआ है किजनादेश दिवसकी पूर्व संध्या पर आपको एकवेतन पर पलने वालेके विरुद्ध प्रेस वार्ता आयोजित करनीपड़ी।

साल भर पहले तक अजीमो शान शहंशाह स्वयं को समझ लेने वाले व्यक्ति की अगर यह दुर्गति हो गयी कि उसे मेरे जैसे वेतनभोगी केमूंह लगना पड़ जाय, तो पराजय की बरसी के अवसर पर यह आपके लिए दुगना पीड़ा का विषय है। आपके स्वस्थ और सुदीर्घ जीवनकी कामना करता हूं। महतारी वंदन की किश्त जारी हो चुकी है। आशा है विधायक के रूप में मिलने वाला आपका वेतन भी आपके खातेमें पहुंच गया होगा। सलाहकार वाला वेतन मेरा भी ही गया है, जिस पर मुझे अगले माह तकपलनाहोगा। बहरहाल।

जानते हैं भूपेशजी? हम भारत के (निम्न मध्यवर्गीय) लोग निस्संदेह वेतन पर पलते हैं। हमारे जैसे करोड़ों लोगों को इसलिए वेतन परपलना होता है, क्योंकि हम किसी गायकवाड़ या महराज दरभंगा के वंशज नहीं होते हैं। जितना आपके बारे में रिसर्च करना पड़ा है हमें, उसके अनुसार आप भी किसी अकबर या निजाम हैदराबाद की विरासत के उत्तराधिकारी रहे हों, ऐसा नहीं है। तो ऐसे में आपके पास भीया तो वेतन पर, या कमीशन पर पलने का ही विकल्प होगा, विशेषकर अगर अलग कोई व्यवसाय नहीं हो तो। हमने वेतन वाला विकल्पचुना हुआ है। आपने क्याक्या विकल्प चुना हैपलने के लिएइसके बारे में कयास लगाने का कोई मतलब नहीं है। सम्बंधित एजेंसियांबकायदा यह जांच कर ही रही होगी। लेकिन यह तय है कि भाजपा की पुरानी सरकार द्वारा धान खरीदी की, की गयी पुख्ता व्यवस्था सेपहले वेतनकमीशन के अलावा आपके पास भी पलने का कोई और माध्यम नहीं रहा होगा। अतः आग्रह है कि वेतन पर पलने वालों कोइस तरह हिकारत से कृपया नहीं देखें। यह छत्तीसगढ़ के लाखों शासकीयअशासकीय कर्मचारियों समेत भारत के करोड़ों वेतनभोगियोंका अपमान है। देशप्रदेश के तमाम वेतनभोगीपक्के मेंकाम करते हैं और ये समुंह सबसे अधिक आयकर चुकाकर देश की प्रगति मेंअपना योगदान देते हैं। सो, मुझे जो कहना हो कहिए, वेतनभोगी जमात आपसे अधिक सम्मान का अधिकारी है। आशा है आगे आपइसका ध्यान रखेंगे।

आपके प्रेस वार्ता का वीडियो बारबार देखा। आपके कष्ट को समझने की कोशिश की कि आखिर आपकी आपत्ति किन बातों से है? मैंने यही पाया कि स्वयं विरोधाभासी बयान देते हुए आप इस प्रेस वार्ता में बुरी तरह कनफ्यूज नजर आए। जिस विषय पर आप यह कहरहे कि वर्तमान मुख्यमंत्री जी के पक्ष में बोलने वाला कोई नहीं है, उसी मूंह से वहीं आप उसी विषय पर, उसी प्रेस वार्ता में लोकप्रियसांसद और आपको लोकसभा में पटखनी देने वाले श्री संतोष पांडेय जी के बयान का जवाब भी दे रहे हैं। उसीजोगी-2.0’ विषय परहमारे उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव जी, जिन्होंने प्रदेश अध्यक्ष रहते आपकी सरकार को पिछले वर्ष इसी दिन धूल छटा दी थी, उनकाभी बयान आया, उसका भी जवाब दिया आपने। तो आपको यह किसने बता दिया था कि केवलवेतन पर पलने वालाबोल रहा है, औरशेष सभी खामोश हैं। सबने कहा, बारबार कहा, अनेक बार कहा, लेकिन मुझे आश्चर्य है कि हमारे सभी कद्दावर नेताओं के बयानों सेअधिक आपको एक वेतनभोगी काएक्स पोस्टचुभ गया।

एक्स सीएम साहब, आपको क्या स्मरण भी नहीं है कि, आपने भीवजीर आलाबनते ही सलाहकार के रूप में आपके शब्दों में हीकहे तो चारचारतनख़्वाह पर पलने वालेइकट्ठा किए थे। वे राजनीतिक बयानबाजी में पारंगत थे। बाहर के प्रदेशों में घूमघूम कर वेचुनावी राजनीति में भी व्यस्त रहते थे। यादाश्त कमजोर हो गयी हो तो स्मरण कराता हूं कि आपके एक सलाहकार महोदय ने मात्र 15 महीने के राजनीतिक जीवन में इतना अनुभव बटोर लिया था कि 15 वर्ष मुख्यमंत्री रहे डा. रमन सिंह जी को पत्र लिख कर उन्होंने भाषाठीक रखने की नसीहत दे डाली थी। तब आपको बड़ा आनंद आया था कि आपके द्वारा नियुक्त वेतनभोगी आपकेदुश्मनको अपमानितकर रहे थे। है ? हालांकि तब भी इस वेतन पर पलने वाले ने अपनी पार्टी के नेता के बचाव में पत्र का जवाब पत्र से ही देकर लंबा पत्रलिखा था।

इसी तरह पत्र लेखन के बाद वे सलाहकार सीधेशाहीन बागपहुंच गए थे, रायपुर में भी उन्होंनेशाहीन बागतामीर करा दिया थाअपनी उपस्थिति से। लेकिन तब आपको उनकी राजनीति करना, राजनीतिक बयानबाजी, भाषणबाजी बिलकुल आपत्तिजनक नहीं लगीथी, जबकि आपकी पार्टी में सदस्य के रूप में उनकी उम्र महज कुछ महीने की ही थी। दशकों तककांग्रेस मीडिया विभागमें जीजानलगा कर काम करने वाले मित्रों की उपेक्षा कर, कांग्रेस कार्यकर्ताओं का हक छीनते हुए राजनीतिक बयानबाजी के लिए आपने यहनियुक्ति की थी? दुःख की बात यह भी थी कि कांग्रेस में मीडिया प्रबंधन का सुदीर्घ अनुभव रखने वाले आपके किसी कार्यकर्ता कोआपने भरोसे लायक़ तब नहीं समझा था। इसी तरह आपकी ही भाषा में कहें तो एक दूसरेवेतन पर पलने वाले सलाहकारको आपनेपूरी ठसक के साथ अपने राष्ट्रीय संगठन में सचिव आदि बनवा दिया था, तीसरेवेतनभोगीतुरतफ़ुरत निकले ही थे अश्लील नकलीसीडी आदि बना कर जैसा कि आरोप है, और आप स्वयं उसके वितरण के आरोप में अपनेवेतनभोगीरहे सलाहकार के साथ जमानतपर हैं। तो आपके वेतनभोगी लोग राजनेता हो गए, और भाजपा सरकार केवेतनभोगीआपके चपरासी हैं कि कुछ भी लिखनेकहने सेपहले आपसे अनापत्ति प्रमाण पत्र लेंगे? ऐसे कैसे होगा दाऊ? खेल का नियम एक ही रखिए कृपया, तब खेलने में आनंद आएगा ? हैकि नहीं?

जहां तक इसवेतन पर पलने वालेका सवाल है, तो वह आज से 25 वर्ष पहले तब के एशिया के एकमात्र पत्रकारिता विश्वविद्यालयरहे संस्थान से तब की पत्रकारिता की सबसे बड़ी डिग्री लेकर राजनीतिकसामाजिक लेखन में जुटा है। पूर्णकालिक राजनीतिककार्यकर्ता के रूप में ही हमने अपना जीवन गुजरा है। राजनीतिक समीक्षक के तौर पर भी आपकी वजन से अधिक केवल देश भर केअखबारों में लिख चुका है। जिस सोश्यल मीडिया पोस्ट पर आप इतने अधिक आहत हुए, अपने लोगों से पूछिएगा, वे बतायेंगे आपकोकि इससिटिजन मीडियापर तबसे सक्रिय रहा हूं, जब आपकी पार्टी ने किसी टेसू मीडिया या आइटी सेल का नाम भी नहीं सुना था।एक्स, ट्विटर, फ़ेसबुक, ओरकुट, माइक्रो ब्लॉग के जमाने से पहले ब्लॉग आदि और उससे पहले भी हम अपना डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म बनाकर उस जमाने में भी देशविदेश के भारतवंशियों के बीच पढ़े जाते थे। केवल पढ़े जाते थे, बल्कि गर्व है इसका कि राष्ट्रवादीविचारधारा को हम मित्रों ने मिलकर सैकड़ों युवा लेखक तैयार कराए हैं, जो आज देश भर में भगवा पताका लहरा रहे हैं।

जिस तरह आपकेवेतन पर पलने वालोंने अपनी अभिव्यक्ति की आजादी का दुरुपयोग किया, वैसा करने का तो अपन सोच भी नहींसकते, लेकिन मुझे सोश्यल मीडिया पर लिखने और संविधान के अनुछेद ‘19 (1) के द्वारा प्रदत्तवाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रताको कोई भी राजनीतिक दायित्व छीन नहीं सकता, उसका सदुपयोग जम कर करते रहे हैं, उसका उपयोग जम कर करेंगे भी। मैंसलाहकार हूं इसलिए नहीं लिख रहा अपितु लिखता रहा हूं, इसलिए सलाहकार हूं। मेरे इस मौलिक अधिकार को छीन ले, ऐसे किसीदायित्व को हम चिमटे से भी छूना नहीं चाहेंगे। जब आपके शासन में, महज बिजली कटौती का पोस्ट फेसबुक पर करने के कारणराजद्रोह का मुकदमा लगा दिया जाता था, जब महज असहमति दर्ज कराने पर आप सौसौ मुकदमा दर्ज करा देते थे, तब लिखना नहींछोड़ा, तो अब क्यों छोड़ेंगे कका? अटलजी के शब्दों में कहें तोकभी थे अकेले, हुए आज इतने, नहीं तब डरे तो भला अब डरेंगे…. गगनपर लहरता है भगवा हमारा, गगन पर लहरता है भगवा हमारा। इसी तिरंगा और भगवा की शान का बखान करतेकरते यही भगवा ओढ़कर एक दिन छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा में ही अंतिम सांस ले लेंगे। क्या हुआ यहां जन्म नहीं लिया तो, मर तो सकते ही हैं यहां! जानतेहैं बघेल जी? हम जैसे करोड़ों भारतीयों के लिए एक देवकी माता होती है जिसने जन्म दिया होता है, और एक यशोदा माता होती है, जोपालन करती हैं। इसी भावना से हम काम करते हैंजहां बसहु तंह सुंदर देसू, जोई प्रतिपालहि सोई नरेशू। उसी संविधान को जिसेआपकी पार्टी ने महजलाल किताबमें बदल देने का अभियान चलाया हुआ है, केअनुछेद 19 (1) जो अधिकार भारत के हरनागरिक को देता है, उसे आप मुझसे छीन थोड़े लेंगे भला?

समस्या यही है श्रीमान, कि आप छत्तीसगढ़ से वेतन लेकर लालू जैसे एक घोषित सजायाफ़्ता अपराधी के पक्ष में चुनाव सम्हालने बिहारजा सकते हैं, बिहार के ही दूसरे बाहुबली राजेश रंजन की पत्नी को, जिसने छत्तीसगढ़ शायद देखा भी नहीं हुआ होता है, उसे छत्तीसगढ़के लोगों का, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का हक छीन कर राज्यसभा सेवेतन पर पलने वालाबना सकते हैं, तब उसे बिहार से सरकारचलाना नहीं कहा जाएगा, लेकिन कोई व्यक्ति एक ट्वीट आपके विरुद्ध कर दे, तो वह सरकार चलाना हो जाता है? आप उत्तर प्रदेश केलखीमपुर जाकर कथित किसानों को 50-50 लाख देने की घोषणा कर सकते हैं, जबकि अपने प्रदेश में किसानों की आत्महत्या कानोटिस तक नहीं लेते, आप असम जा कर तब वहां से अपने बस्तर के सांसद के साथ रात्रि भोज का फोटो पोस्ट करते हुए खिलखिलातेरहते हैं, जबकि उसी रात उसी बस्तर में नक्सलियों ने दर्जनों जवानों को शहीद कर दिया होता है।

आप झारखंड के नेताओं की कोरोना के दौरान यहां शराब पार्टी करा सकते हैं। आप ब्रिटिश द्वारा स्थापित पार्टी, इटली में पैदा हुईव्यक्ति की सरपरस्ती स्वीकार करते हुए एटीएम लुटा देंगे, जैसा हमेशा आप पर विपक्ष आरोप लगाता रहा है, आप पंजाब के के. टी. एस. तुलसी को राज्यसभा भेजे देंगे, उन्हें जीत का प्रमाण पत्र तक अपने कैबिनेट मंत्री के माध्यम से उनके घर दिल्ली या पंजाबभिजवायेंगे, वे अपना प्रमाण पत्र तक लेने रायपुर आने की जहमत नहीं उठायेंगे। प्रदेश का इतना अपमान कराएंगे आप? आप उत्तर प्रदेशके किसी राजीव शुक्ला को अकारण यहां के लोगों का हक छीन कर राज्यसभा से वेतन दिलवा करपलने वालाबना देंगे, वे सभी वेतनपर पलने वाले नहीं हुए, लेकिन एक व्यक्ति अगर अपनी विचारधारा के लिए काम करते हुए केवल एक्स पोस्ट लिख देता है, तो वहआपको गवारा नहीं? उसे आप उसके जन्म क्षेत्र के आधार पर जज करेंगे। कोई तो कसौटी रखिए सर। इतना दोहरा आचरण लेकर आपकैसे सरवाइव कर लेते हैं?

श्रीमान जी, अपन यह समझने की कोशिश कर रहे हैं, कि रायपुर में बैठ कर एक्स पर महज एक पोस्ट लिख देनाबिहार से सरकारचलानाकैसे हो गया भला? क्या एक्स पोस्ट से सरकार चलती है? अत्यधिक माथापच्ची के बाद अंततः मैं इस नतीजे पर पहुंच पायाकि आपने शायद अपना ही अनुभव व्यक्त किया है जब आप केवल सोश्यल मीडिया पर लिखवा कर या थोक में केंद्रीय नेताओं के नामपत्र लिखवा कर सरकार चला रहे थे, उसे ही सरकार चलाना शायद समझ लिया था आपने। भाजपा में ऐसा नहीं होता महाशय। यहांपरिश्रम की पराकाष्ठा करनी होती है। एकएक मिनट का हिसाब तय रहता है। यह नहीं कि पत्र लिख दिया किपीएम गरीब कल्याणचावल योजनाद्वारा चावल वितरण को तीन महीने आगे बढ़ाया जाय, जब केंद्र ने सीधे पांच वर्ष बढ़ा दिया तो अपने लोगों से कहलवायाजाय कि देखो कितनी गरीबी है कि पांच किलो चावल देना पड़ रहा है सरकार को। यह नहीं कि एथेनोल बनाने का पत्र लिखा जाय, औरबात जब आगे बढ़ती दिखे तो अपने राष्ट्रीय नेता से कहला दिया जाय कि एथेनोल बनाने का निर्णय खाद्य संकट पैदा करेगा। तब केविपक्ष का सवाल आए कि शराब घोटाला क्यों हो रहा है, तो एक्स (तब ट्विटर) पर जवाब आए कि सावरकर कायर थे, माफ़ीवीर थे, किनाथूराम मुर्दाबाद बोलना पड़ेगा।

ऐसेऐसे उटपटांग पत्र लिखने, सड़े हुए नैरेटिव गढ़ते रहने कोसरकार चलानासमझते रहने के कारण ही शायद आज भी आपको इसबात का भ्रम हो गया होगा कि किसी ने एकएक्स पोस्टलिख दिया तो वह सरकार चला रहा है। सरकार ऐसे नहीं चलती पूर्व मुख्यमंत्रीजी। सरकार चलाने के लिए मनुष्यता, समरूपता, समग्र सोच, समविधान वाली दृष्टि विकसित करनी होती है। मुख्यमंत्री बन जानाऔर ऐनकेनप्रकारेण अगलेढाई वर्षभी बने रह जाने से बात नहीं बनती। मुख्यमंत्री तो राबड़ी देवी जी भी बन गयी थी जिन्होंने शपथके बाद हस्ताक्षर करना सीखा, मुख्यमंत्री तो अकेले सदस्य वाले निर्दलीय मधु कोड़ा भी बन गए थे। मुख्यमंत्री होने और उसका औचित्यनिरूपण करते रहने के लिए विष्णुदेव साय जी जैसा सौम्य होना होता है, डा.रमन सिंह जी जैसा आदमकद होना होता है। सीएम पदरूपी चादर को ऐसे ओढ़ना होता है कि जब दायित्व पूर्ण हो तब बकौल कबीर साहब, उसेजस की तस रख दीनी चदरियाव्याख्यायितकिया जा सके। ये नहीं किपूर्वहोने पर भी अहंकार इतना अधिक बढ़ जाय कि असहमति का जरा सा स्वर सुना नहीं कि एक छोटे सेराजनीतिक कार्यकर्ता को उसके जन्म क्षेत्र, जाति या पेशे के आधार पर अपमानित करते रहा जाय और धृतराष्ट्र की सभा जैसा शेषसभासदों को विद्रूप हँसी हँसने को उकसाया जाय। पद पर रहते हुए भी ऐसा नहीं हुआ जाय कि भरी सभा में हजारों की भीड़ के बीच, अपनी ही प्रदेश की प्रार्थी बिटिया को कहा जाय कि लड़की, राजनीति मत कर। गोया राजनीति करने का अकेला टेंडर खुद के नामसे ही निकाल लिया हो आपने। अन्य कोईराजनीतिकरे ही नहीं।

अब बात जरा तनख़्वाह से सम्बंधित भी हो जाय। श्रीमान आपको पता तो होगा कि वेतन की व्यवस्था महान भारत गणराज्य के राष्ट्रपतितक के लिए भी होती है। विधायक के रूप में आज आप वेतन लेते हैं, तो ऐसा ही तमाम जनप्रतिनिधियों के लिए भी है। हां, सामाजिकजीवन में तय यह करना होता है कि आपको वेतन पर पलना है या कमीशन पर? राजनीति के क्षेत्र के कुछ पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं केलिए भी ऐसी ही व्यवस्था होती है। अगर आपको अपनी ही पार्टी का इतिहास पता होता, या आपके वामपंथी सलाहकारों ने कम्युनिस्टोंके यहां की ही वेतन व्यवस्था भी आपको बतायी होती, तो आप शायदतनख़्वाह पर पलनेको ऐसे हिकारत से नहीं देखते। वेतन कभीभी अपमान या उपहास की चीज नहीं हुआ करती है वैतनिक महोदय। कम्युनिस्टों में तो ऐसी व्यवस्था रही है कि वहां के मुख्यमंत्री भीअपना वेतन पार्टी कार्यालय में जमा कर फिर पार्टी से पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में नियत वेतन वापस लेते रहे हैं। मुख्यमंत्री रहेबुद्धदेव भट्टाचार्य जी का इतिहास निकाल कर कहिएगा अपने पूर्व सलाहकारों को देने के लिए। वे बता देंगे आपको अगर सच में थोड़ीपढ़नेसमझने की रुचि हो तो।

आपके अहंकार को ठेस इसलिए पहुंच गयी क्योंकि मेरे जैसा छोटा आदमी कैसे आप जैसेमहान व्यक्तिपर सवाल उठा सकता है। तोदाऊ, इसका भी जवाब यही है कि आप जैसा करते हैं , प्रकृति आपको वही लौटाती है। 25 वर्ष राजनीतिकसामाजिक जीवन मेंगुजारने के बाद भी हमारी औकात आपके बारे में बात करने की नहीं हुई है, लेकिन आपने अपनी हैसियत यह समझ ली थी कि आपइतिहास पुरुष, परम तपस्वी, दोदो बार आजीवन कारावास की सजा पाए हुतात्मा वीर सावरकार जी तक पर कीचड़ उछाल देंगे। ऐसेहुतात्मा पर कीचड़, जो भाजपा की कौन कहे, कभी भारतीय जनसंघ, संघ से भी संबंधित नहीं रहे। और ही वे आपके कीचड़ को धोनेआते अब। आज आपको यह भी कष्ट हो रहा है, इस कष्ट में आप मीडिया पर भी आक्रमण करने से खुद को रोक नहीं पाए कि कोईछाप कैसे सकता है मेरे जैसेतनख्वाह पर पलने वालेके पोस्ट को। जबकि अपने तमाम उलजुलूल पत्रों, एक्स पोस्टों को आपकीसरकार किस तरह हेडलाइन बना देने का दबाव डालती रही थी, वह प्रदेश के प्रेस जगत के मित्र भूले नहीं हैं। हालांकि आपके लोगों द्वाराफैलाए वैसे ही कीचड़ पर फिर से कमल खिला है, औरजनादेश दिवसके दिन जब यह पंक्ति लिख रहा हूं, तबकमलखिलखिला भीरहा है।

आप विश्व के सार्वाधिक लोकप्रिय नेता, हमारे यशस्वी प्रधानमंत्रीजी के बारे में अनापशनाप बोल सकते हैं, वह आपका राजनीतिकअधिकार है, लेकिन मैं एकवेतन पर पलने वालाहो गया, जो एक साधारण ट्वीट भी नहीं कर सकता? क्या आप मुसोलिनी के अवतारहैं या इटली से इतना अधिक प्रभावित हैं? स्मरण कीजिए आप कि आपकी पार्टी और आप 15 वर्ष तक मुख्यमंत्री रहे व्यक्तित्व केबयानों पर कैसी प्रतिक्रिया देते थे, किस तरह जानबूझ कर अपने जिला स्तर के कार्यकर्ता का बयान पूर्व सीएम के विरुद्ध छपाते थेताकि वे अधिक से अधिक वे अपमानित महसूस करें। याद कीजिए अपने उस अपराध को, जब वर्तमान मुख्यमंत्री और सहजसरल, सौम्य नेता, तब के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री विष्णुदेव साय जी के खिलाफ आप किस तरह के बयान देते थे?याद दिलायें आपको? आपने अपनी तुनकमिज़ाजी और पद के अहंकार में हमारे तब के प्रदेश अध्यक्ष सायजी को कहा था कि उनके दिमाग में गोबर भरा है, जिससे आपको बिजली बनाना है। एक राष्ट्रीय आदिवासी नेता जो अनेक बार सांसद, विधायक, केंद्रीय मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष रहे हों, उनके ख़िलाफ क्या बिना वेतन पर पलते हुए ही आपने ऐसा असंसदीय विषवमन किया था क्या? आप सदन तक मेंदोगलाजैसाअमर्यादित शब्द उच्चारित करते थे। अगर आपको याद हो, तो आपके और कांग्रेसियों के ऐसे सौ अपशब्दों की हमने सूची जारी की थी।वे सारे बयान क्या बिनातनख्वाह पर पलते हुए हीदिया जा रहा था क्या?

निस्संदेह राजनीतिक बयानों के लिए हमारे बड़े नेतागण हैं, वे बयान देते भी हैं। देंगे भी। जैसा इसजोगी 2.0’ मामले में दिया भी है।आपके राजनीतिक कवायद के कयास को तब और बल मिला जब लम्बे समय तक आपके साथ जुड़ी रही, कांग्रेस की राष्ट्रीय टीम कीसदस्य रही नेत्री ने भी आलोच्य पोस्ट कोकोट रिपोस्टकिया। अपने कांग्रेस के अनुभवों की बिनाह पर उन्होंने भी वही अनुमान लगायाजो अपन ने पोस्ट किया था। निस्संदेह भाजपा में प्रखर और मुखर प्रवक्ताओं की एक फौज है। उस टीम पर हमें गर्व है। सभी लिखनेपढ़ने, सोचनेसमझने वाले तेजस्वी युवती और युवा हैं। अनुभवी वरिष्ठ भी हैं। वे लगातार तथ्यों पर आधारित जवाब आपको देते भीरहते हैं, वे ही देंगे भी। मेरा काम पार्टी प्रतिनिधि के तौर पर राजनीतिक बयान देना बिल्कुल नहीं है। इस मर्यादा का हम हमेशा पालनकरते हैं। लेकिन मुझसे मेराकीबोर्डयाआइफोनआप नहीं छीन सकते हैं। यह स्वतंत्रता मुझे उसी संविधान ने दिया है जिसेलालकिताबबना कर आपके राहुल गांधी उछालते रहते हैं।

.विधायक जी,आपने अवसर दिया है, तो अत्यधिक संकोच और पूरी विनम्रता के साथ अपने बारे में भी कुछ बताना चाहूंगा आपको।आप नहीं जानते मुझे यह आपकी समस्या है, मेरी नहीं। आपकी पार्टी में जो भी थोड़ाबहुत पढ़नेलिखने वाले हों, उनसे परिचय हैअपना। भी हो तो कोई बात नहीं। मेरी पार्टी मुझे जानती है, मेरेपलनेके लिए इतना बहुत है। अत्यधिक विनम्रता के साथ बतानाआवश्यक है कि लगभग 20 वर्ष अपनी पार्टी के प्रदेश कार्यसमिति का सदस्य रहा हूं। भाजपा में एकपार्टी पत्रिकायें एवं प्रकाशनविभागहोता है, जिसके दायित्ववान के रूप में भी इतने ही समय से जुड़ा हूं। पार्टी के मुखपत्र, जिसकी प्रसार संख्या भारत के 10 सबसेअधिक प्रसार संख्या वाली पत्रिकाओं में आता है, का संपादक हूं। आपके लिए भले पार्टी मुखपत्र का मतलबनेशनल हेराल्ड जमीनहथियाओअभियान, ‘यंग इंडिया घोटाला करोअखबार होता हो, जिसके आरोप में आपका शीर्ष नेतृत्व भी अभी जमानत पर है। लेकिनभाजपा के लिए उसके मुखपत्रों का संवैधानिक महत्व है। पार्टी के संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त और संरक्षित है हमारी पत्रिका।

इसी तरह पार्टी के मीडिया, सोश्यल मीडिया, पुस्तकालय, पॉलिसी रिसर्च समेत ऐसे दर्जनों घोषितअघोषित दायित्वों से अलगअलगसमय पर दशकों से जुड़ा रहते हुए भी आप नहीं जानते हैं मुझे, तो इससे बड़ी सफलता मेरे लिए और कुछ नहीं हो सकती। यह दिखाता हैकि मर्यादा में रह कर पर्दे के पीछे काम कैसे किया जाता है। किस तरह स्वयं को पीछे रह कर अपनी विचारधारा के लिए काम कियाजाता है। किस तरह राजनीतिक बयानबाजी से, सुर्ख़ियों में रहने के स्वाभाविक लोभ का संवरण कर काम किया जाता है। अपनीहैसियत समझते हुए माटीपुत्रों को किस तरहमैं नहीं तूकी भावना से सम्मान देकर सम्पूर्ण शालीनता के साथ अपना गिलहरी योगदानदिया जाता है।

आप अगर सच में इतना लंबा पढ़ चुके हों तो आश्चर्य ही लग रहा होगा आपको कि किसी राजनीतिक दल में ऐसा भी होता है क्या? अचंभित आप इसलिए होते होंगे क्योंकि अपनी पार्टी में आपने अक्सर गालीगलौज, जूतमपैजार ही होते देखा है जिसके वीडियो आदिमीडिया में भी आते रहते हैं, जैसा अभी हाल में बिलासपुर में भी हुआ है। जैसा कुछ समय पहले आपकी पार्टी के दफ़्तर में ही हुआ था।अगर इसी चुनाव की बात करें तो जिसमोदी गारंटीने आपके झूठे कथित जन घोषणा पत्र की पोल खोल कर जनता के सामने रख दी, उसभाजपा घोषणा पत्र समितिका यहवेतन पर पलने वाला केवल सदस्यसचिव था, उसके प्रारूप समिति का अध्यक्ष था, बल्किअपने आदरणीय नेता विजय बघेल जी के संयोजकत्व में बनी उस समिति के अनेक उपसमितियों का भी संयोजक था। आदरणीयविजय बघेल जी को तो जानते ही होंगे आप?

जिसहमने बनाया हम ही सवारेंगेनारे का आप अब बौखलाहट में मजाक उड़ाते हैं, उस नारे को गढ़ने, और ऐसे कंटेंट बनाने वालीकंटेंट क्रियेशन टीमके संयोजक का दायित्व भी अपना था। हमारे नेताओं ने आपके तमाम झूठों की बखिया उधेर कर रख दी थी, उसभाषण समिति का भी घोषित संयोजक अपन थे। ये तमाम घोषित दायित्व थे, बावजूद इसके अगर आप नहीं जानते हैं, तो इस से यहसमझा जा सकता है कि मेरी पार्टी के कार्यकर्ता किस तरह प्रसिद्धि से परे होकर कार्य करते हैं। क्याक्या कहें। जब यह लिख रहा हूं, तबजनादेश दिवसमना रही है भाजपा सरकार। आपको पिछली बार मिले ऐतिहासिक समर्थन के बावजूद अपने अहंकार के कारणआपने अपना क्या हाल बना लिया, उसे बताने के लिए इस दिन से बेहतर और क्या हो सकता है भला?

चुनाव में हारजीत लगी रहती है। भाजपा कभी जबरन ईवीएम पर ठीकरा भी नहीं फोड़ती। अगर कभी पराजित भी होती है तो स्वीकारकरती है बड़े मन से। अगर जीतती है तो विनम्रता से उसेदायित्वसमझते हुए काम पर लग जाती है। इस महत्वपूर्ण दिवस पर आपसेहाथजोड़कर यही निवेदन करता हूं कि अगर सच में स्वयं को बड़ी हस्ती समझते हों, तो कृपया बड़प्पन लाइए स्वयं में। बड़प्पन लानेका अर्थ यह होता है कि आलोचनाओं को सहा जाय। इसवेतन पर पलने वाले सलाहकारकी आपको यही सलाह होगी किनिंदकनियरे राखिए। किसी छोटे कार्यकर्ता की, चाहे वे विपक्षी दल का ही क्यों हो, उसका अपमान नहीं किया जाय, उसकी खिल्ली नहींउड़ायी जाय, किसी के पेशे, क्षेत्र, जाति, वेतन, आदि के आधार परपलने वालाजैसा शब्द उपयोग नहीं किया जाय।

महाशय, हर व्यक्ति अपने प्रारब्ध का पाताखातापलता है। काहु कोई सुखदुःख कर दाता, निज कृत करम भोग सब भ्राता। कृपयाअपने अहंकार से मुक्त होईए। भाजपा या हमारे नेताओं, प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी की चिंता में आपको दुबले होनी की जरूरत नहींहै। आप अपनी और अपने बचेखुचे कुनबे की चिंता कीजिए। स्वयं में शालीनता और सौजन्य लाइए। दर्पण देखिए। कृपया बड़े बनजाइए। हमारे प्रदेश अध्यक्ष किरण देव जी से शालीनता सीख सकते हैं। हमारे संगठन मंत्रियों के जीवन ये यह सीखा जा सकता है किकिस तरह संगठन शिल्प को विनम्रता और सादगी के साथ गढ़ा जाता है। हमारे विचार परिवार के प्रातः स्मरणीय प्रचारकों के जीवन सेसंदेश लिया जा सकता है। असली गांधी को पढ़ कर उनके आचरण का रंच मात्र भी जीवन में उतारने की कोशिश होनी चाहिए। नेताहोने, बड़ा या महान होने के लाइ ही नहीं बल्कि अच्छा मनुष्य होने के लिए भी यह अंगीकार करना चाहिए। इसवेतन पर पलने वालेसलाहकारकी आपको आख़िरी यही सलाह होगी किज्ञान गरीबी हरि भजन, कोमल वचन अदोष, तुलसी कबहु छोड़िए, क्षमा, शील, संतोष।

ईश्वर आपको कम से कम उतनी आलोचना सहने की शक्ति अवश्य प्रदान करें, जितनी बेजा आलोचना आप और आपका कुनबाहुतात्मा वीर सावरकर जी से लेकर नरेंद्र दामोदरदास मोदीजी तक की करता है। अपना ध्यान रखिए।

धन्यवाद।

भवदीय

पंकज कुमार झा

वेतनभोगी, रायपुर।

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