CG BREAKING : राज्यपाल सचिवालय ने HC में चुनौती, राष्ट्रपति या राज्यपाल को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता

CG BREAKING: Governor’s Secretariat challenges in HC, President or Governor cannot be made a party
बिलासपुर। आरक्षण संशोधन विधेयक के मामले में राज्य शासन की ओर से राज्यपाल सचिवालय की ओर से दायर याचिका पर आज सुनवाई कर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है.

राज्य शासन की ओर से आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट की ओर से भेजे गए नोटिस की संवैधानिकता पर सवाल उठाते हुए राज्यपाल सचिवालय ने चुनौती दी है. इसमें कहा है कि आर्टिकल 361 के तहत किसी भी केस में राष्ट्रपति या राज्यपाल को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता.
बता दें कि आरक्षण विधेयक बिल को राजभवन में रोकने को लेकर राज्य शासन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद राज्यपाल सिर्फ सहमति या असमति दे सकते हैं. लेकिन बिना किसी वजह के बिल को इस तरह से लंबे समय तक रोका नहीं जा सकता. राज्यपाल अपने संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग कर रही है.
दो महीने पहले विधानसभा के विशेष सत्र में आरक्षण संशोधन विधेयक पारित हुआ था. इसमें अनुसूचित जनजाति के लिए 32 फीसदी, ओबीसी के लिए 27 फीसदी, अनुसूचित जाति के लिए 13 फीसदी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 4 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है. विधेयक को राज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया था, लेकिन राजभवन न तो इसे स्वीकृत किया है, और न ही वापस लौटाया है.
राज्यपाल के विधेयक स्वीकृत नहीं करने को लेकर एडवोकेट हिमांग सलूजा और राज्य शासन ने याचिका लगाई थी. शासन की याचिका पर राज्यपाल के सचिवालय को नोटिस जारी होने के बाद राज्यपाल सचिवालय की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसमें याचिका पर राजभवन को पक्षकार बनाने और हाईकोर्ट की नोटिस देने को चुनौती दी गई है.