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CG BIG NEWS : पद्मश्री से सम्मानित पंडवानी गायिका उषा बारले की कहानी, जिन्होंने छत्तीसगढ़ का बढ़ाया मान

CG BIG NEWS: The story of Padma Shri awarded Pandwani singer Usha Barle, who raised the honor of Chhattisgarh

 रायपुर। बुधवार 22 मार्च को पद्म पुरस्कार दिए गए. कई तस्वीरें आईं. एक तस्वीर आई, जिसमें नारंगी साड़ी में एक महिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज़मीन पर बैठकर प्रणाम कर रही हैं. तस्वीर ट्विटर पर ख़ूब चली. उनका नाम है, उषा बारले. पंडवानी गायन में अपने अद्भुत शिल्प के लिए उन्हें पद्मश्री से नवाज़ा गया है.

उषा बारले की कहानी –

उषा छत्तीसगढ़ के भिलाई की रहने वाली हैं. 7 साल की उम्र से ही पंडवानी गा रही हैं. यानी बीते 45 बरस से. अब तक 12 से ज़्यादा देशों में पंडवानी की विधा प्रस्तुति दे चुकी हैं.

पंडवानी लोक गायन की एक शैली है, जिसमें महाभारत की कहानियां गाई जाती हैं. पांडव से ही निकला है पांडववाणी या पंडवानी. उनके इर्द-गिर्द की लोक-कथाओं को गीतबद्ध करके गाया जाता है. भीम इस गायन के हीरो हैं. छत्तीसगढ़ में ही सबसे ज़्यादा प्रचलित है. यहीं की परधान और देवार जातियों की गायन परंपरा है.

उषा ने बताया है कि 5-6 साल की थीं, तभी से उन्हें पंडवानी में रूचि होने लगी थी. घर में गायन का माहौल था, तो उनके पहले गुरु उनके फूफा ही बने. फूफा ने उषा से कहा था कि एक दिन वो अपने गांव, राज्य और देश का नाम रोशन करेंगी. पुरस्कार जीतने के बाद उषा को फूफा की बात याद आई.

घर से बुनियादी तालीम के बाद उषा बारले ने दिग्गज गायिका तीजनबाई से शिक्षा ली. पंडवानी गायन के लिए भारत सरकार ने तीजनबाई को पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया है. इन्हीं तीजन बाई से ही उषा ने पंडवानी पढ़ने और गाना सीखा.

अपनी कला के उन्हें छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ़ से गुरु घासीदास सामाजिक चेतना पुरस्कार दिया गया है. कला के समीक्षकों की मानें, तो उषा का गायन महिलाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने पर केंद्रित है. उनका कहना है कि राज्य सरकार को पंडवानी की शिक्षा के लिए स्कूल खोलने चाहिए, जिसमे पंडवानी के रुचि रखने वाले बच्चों को शिक्षा दी जा सके.

 

 

 

 

 

 

 

 

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