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BREAKING : मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को दी गई z कैटेगरी की सुरक्षा

BREAKING: Z category security given to Chief Election Commissioner Rajiv Kumar

इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की थ्रेट परसेप्शन रिपोर्ट के बाद गृह मंत्रालय ने मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को z कैटेगरी की सुरक्षा दी है. बता दें कि TMC के साथ-साथ कई राजनीतिक पार्टियां इस समय हंगामा कर रही है. इसे देखते हुए ही IB की थ्रेट परसेप्शन रिपोर्ट आई थी, जिसके आधार पर मुख्य चुनाव आयुक्त को सुरक्षा दी गई है.

Z कैटेगरी की सुरक्षा में क्या होगा? –

जेड श्रेणी की सुरक्षा में कुल 33 सुरक्षागार्ड तैनात होते हैं. आर्म्ड फोर्स के 10 आर्म्ड स्टैटिक गार्ड वीआईपी के घर पर रहते हैं. 6 राउंड द क्लॉक पीएसओ, 12 तीन शिफ्ट में आर्म्ड स्कॉर्ट के कमांडो, 2 वॉचर्स शिफ्ट में और 3 ट्रेंड ड्राइवर राउंड द क्लॉक मौजूद रहते हैं.

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बता दें कि इस समय देश चुनावी मोड में जा चुका है. देश में लोकसभा चुनाव 7 चरणों में होने जा रहे हैं, जिसकी शुरुआत 19 अप्रैल को पहले चरण के साथ होगी. वहीं, दूसरा 26 अप्रैल को, तीसरा 7 मई को, चौथा 13 मई को, पांचवां 20 मई को, छठवां 25 मई को और सातवां चरण 1 जून को होगा. सभी चरणों के मतदान की काउंटिंग 4 जून को होगी.

हाल ही में चुनावों की तारीख का ऐलान करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा था कि चुनाव के लिए हमारी टीम तैयार है. चुनाव में 97 करोड़ वोटर्स मतदान करेंगे. 10.5 लाख पोलिंग स्टेशन होंगे, जबकि 55 लाख EVM का इस्तेमाल किया जाएगा.

6 वर्ष के लिए होता है कार्यकाल –

मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दोनों निर्वाचन आयुक्तों का कार्यकाल 6 वर्ष के लिए होता है. सीईसी की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष और चुनाव आयुक्तों की 62 वर्ष होती है. चुनाव आयुक्त का पद और वेतनमान भारत के सर्वोच्च न्यायलय के न्यायधीश के सामान होता है. मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा महाभियोग के जरिए ही हटाया जा सकता है. या फिर वह स्वयं अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं. भारत के निर्वाचन आयोग के पास विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव संपन्न कराने की जिम्मेदारी होती है.

3 सदस्यों से मिलकर बना है EC –

भारत का निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्छेद 324 के प्रावधानों के तहत भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और दो अतिरिक्त चुनाव आयुक्तों (ECs) से मिलकर बनता है. राष्ट्रपति सीईसी और अन्य ईसी की नियुक्ति चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर करते/करती हैं. भारतीय निर्वाचन आयोग 1950 में गठित हुआ था. तब से लेकर 15 अक्टूबर, 1989 तक आयोग सिर्फ मुख्य निर्वाचन आयुक्त वाला एकल-सदस्यीय निकाय होता था.फिर 16 अक्टूबर, 1989 से 1 जनवरी, 1990 तक यह तीन-सदस्यीय निकाय रहा. इस दौरान आरवीएस शास्त्री मुख्य निर्वाचन आयुक्त, एसएस धनोवा और वीएस सहगल निर्वाचन आयुक्त के रूप में आयोग के तीन सदस्य रहे. 2 जनवरी, 1990 से 30 सितंबर, 1993 तक यह फिर एकल-सदस्यीय निकाय बन गया और एक बार फिर 1 अक्टूबर, 1993 से यह तीन-सदस्यीय निकाय बन गया. तबसे भारत के निर्वाचन आयोग में सीईसी और 2 ईसी सहित तीन सदस्य होते हैं.

 

 

 

 

 

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