ब्रेकिंग न्यूज़. हसदेव अरण्य पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के नाम मध्यप्रदेश के संगठनों और नागरिकों ने लिखा पत्र।
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रायपुर। हसदेव अरण्य बचाने के लिए आंदोलनरत नागरिकों के प्रति एकजुटता व्यक्त करते हुए मध्यप्रदेश के अनेक जिलों में हुई कार्यवाहियों के बाद राजधानी भोपाल में एकत्रित हुए मध्यप्रदेश के अनेक संगठनों, दलों, समूहों, व्यक्तियों के रूप में हम सब ;एक ; हसदेव अरण्य को लेकर वहां के नागरिकों, निवासियों तथा छग सहित देश भर के पर्यावरण शुभाकांक्षियों की चिंता के साथ हैं। हम मानते हैं कि करीब चार लाख से अधिक वृक्षों, घनी हरियाली, विराट प्राकृतिक सम्पदा वाले इस इलाके में कुछ धनपिशाचों के मुनाफे के लिए वृक्षों का संहार करने की अनुमति देना पृथ्वी, मनुष्य और मानवता के प्रति अपराध है। जिन दिनों समूची दुनिया जलवायु परिवर्तन को लेकर फिक्रमंद हो, ऐसे में इस तरह के विनाश को होने देना, होते हुए देखना और चुप्प रहना इस आपराधिकता को द्विगुणित कर देता है। यूं भी जिसे हम बना नहीं सकते, उसका विनाश करने का कोई नैतिक, वैधानिक अधिकार हमारा नहीं है
अतएव हमारा अनुरोध है कि तत्काल प्रभाव से हसदेव अरण्य से जुड़ी जंगल कटाई और उत्खनन की सारी अनुमतियाँ निरस्त की जाएँ। इस काम को तत्काल प्रभाव से रोका जाए। उखाड़ने वाले व्यक्तियों, कंपनियों द्वारा इस बीच में जितने वृक्ष उखाड़े जा चुके हैं, उन्हें उनसे पांच गुना वृक्ष लगवाने का निर्देश दिया जाए।
हसदेव अरण्य की रक्षा के लिए लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलित नागरिकों तथा संगठनो पर मुकद्दमे लगाने तथा उनके विरुद्ध कार्यवाहियां करने की खबरें मिली हैं। कायदे से तो प्रदेश के पर्यावरण और प्राकृतिक सम्पदा की हिफाजत करने वाले इन नागरिकों, संगठनों को आपके मुख्यमंत्रित्व वाली सरकार के द्वारा सम्मानित किया जाना चाहिए था, मगर ऐसा करने की बजाय उन्हें अपमानित, दण्डित तथा प्रताड़ित किया जा रहा है। हम सब आपसे अनुरोध करते हैं कि सरकार तथा प्रशासन का उपयोग निजी कंपनियों के लिए करने पर तत्काल रोक लगाई जाए। अब तक की गयी सभी कार्यवाहियां निरस्त की जाएँ।
छग पहले से ही तुलनात्मक रूप से देश के पर्याप्त औद्योगीकृत प्रदेशों में से एक है। इसलिए भविष्य में किसी भी प्रकार के औद्योगीकरण इत्यादि के काम को आरम्भ करने से पूर्व उसके पर्यावरणीय प्रभावों के आंकलन (भले केंद्र की वर्तमान सरकार ने पूँजी घरानों के दबाब में ऐसा करने से छूट क्यों न दे दी हो ) तथा स्थानीय नागरिकों – विशेषकर आदिवासियों – से निर्धारित प्रक्रिया के तहत सूचित सहमति लिया जाना चाहिए। इसे सिर्फ नौकरशाही तरीकों से तय नहीं किया जाना चाहिए।
यह याद दिलाना सामयिक होगा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन पर्यावरण मंत्री श्री जयराम रमेश ने हसदेव में “नो गो” के आदेश दिए थे और हसदेव अरण्य में किसी भी तरह की छेड़छाड़ को प्रतिबंधित किया था।
हमें विश्वास है कि आप इन तीनों आग्रहों पर सकारात्मक रुख अपनाएंगे और समुचित आदेश जारी करेंगे।
हमारा यह विश्वास विधानसभा चुनाव से पूर्व बस्तर के टाटा समूह के प्लांट को लेकर किये गए वायदे से और मजबूत होता है — उसी भावना से इस प्रकरण तथा इसी तरह के सभी प्रकरणों में निर्देश जारी करने का कष्ट करेंगे
जसविंदर सिंह ; सीपीआई (एम), शैलेन्द्र कुमार शैली ; सीपीआई), रामावतार शर्मा, विनोद लौगरिया ; एसयूसीआई (सी),
हस्ताक्षर एकत्रीकरण का सिलसिला अभी जारी है।