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BREAKING NEWS : राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रोपति मुर्मू को शिरोमणि अकाली दल ने समर्थन देने किया ऐलान …

Shiromani Akali Dal announces support for Presidential candidate Draupathi Murmu…

नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव में शिरोमणि अकाली दल ने एनडीए (NDA) उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा की है।
अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल बताया कि हमने राष्ट्रपति चुनाव में किस उम्मीदवार को समर्थन देना है, उसे लेकर पार्टी के तमाम बड़े नेताओं के साथ चर्चा की। इसके बाद हमने अपने सभी राजनीतिक मतभेदों को भुलाते हुए एनडीए  उम्मीदवार  द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का फैसला किया है।

कांग्रेस सिख विरोधी, यशवंत सिन्हा को नहीं करेंगे समर्थन –

राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को समर्थन देने के सवाल पर सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि अकाली दल किसी भी कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार को समर्थन नहीं कर सकता, क्योंकि कांग्रेस सिख विरोधी है। ऐसे में हमने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल हमेशा से ही कमजोर वर्गों के साथ खड़ा रहता है।

नड्डा ने मुर्मू को लेकर सुखबीर बादल को फोन कर मांगा था समर्थन –

बीजेपी के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने बृहस्पतिवार को पूर्व सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल से बात की और राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के लिए समर्थन मांगा था। फोन पर हुई इस बातचीत के दौरान बादल ने नड्डा को कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया लेकिन उन्होंने कहा कि अकाली दल के नेताओं से चर्चा करने के बाद उन्हें अपनी राय से अवगत करा देंगे की बात कही थी। अब अकाली दल राष्ट्रपति चुनाव में मुर्मू का समर्थन देने का ऐलान कर दिया है।

दशकों पुराना दोनों दलों को गठबंधन टूटा –

केंद्र सरकार के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में अकाली दल राजग से बाहर हो गया था और उसकी नेता हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। साथ ही दशकों पुराना दोनों दलों को गठबंधन टूट गया था। इस साल की शुरुआत में पंजाब विधानसभा के चुनाव में अकाली बदल ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था जबकि भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींढसा के नेतृत्व वाले दलों के साथ गठबंधन किया था। हालांकि भाजपा और अकाली दल को इस चुनाव में कोई खास सफलता हासिल नहीं हुई।

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