BORE BASI SCANDAL : “कका ने महतारी को ठग लिया” बोरे-बासी आयोजन पर राधिका खेड़ा का हमला, भूपेश बोले – सभी सरकारी कार्यक्रमों की हो जांच

BORE BASI SCANDAL : “Kaaka duped Mahtari” Radhika Khera attacks Bore-Basi event, Bhupesh says – all government programs should be investigated
रायपुर, 24 मई 2025। BORE BASI SCANDAL छत्तीसगढ़ में बोरे-बासी दिवस को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच सियासी जंग तेज हो गई है। भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता राधिका खेड़ा ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “कका ने बोरे-बासी को संस्कृति नहीं, लूट का साधन बना दिया।” वहीं भूपेश बघेल ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा के 15 साल और कांग्रेस के 5 साल के शासन में हुए सभी सरकारी आयोजनों की जांच होनी चाहिए।
बोरे-बासी में 8 करोड़ की थाली?
BORE BASI SCANDAL दरअसल, दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार बोरे-बासी दिवस के आयोजन में 8 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए। रिपोर्ट में बताया गया कि 1500 रुपए की वीआईपी थाली परोसी गई, 8 रुपए की पानी की बोतल 18 में खरीदी गई, चार डोम बनाए गए लेकिन छह का बिल लगाया गया। इस पांच घंटे के कार्यक्रम ने राज्य के राजकोष पर करोड़ों का बोझ डाल दिया।
“कमीशन की थाली से दीदी की थाली सजाई गई”
राधिका खेड़ा ने सोशल मीडिया पर निशाना साधते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को टेंडर में बेच दिया गया। उन्होंने कहा, “कमीशन की थाली भरकर दिल्ली में दीदी की थाली सजाई गई। कका हर मंच से माटी को मां कहते थे, लेकिन उसी माटी को माल बनाकर दिल्ली दरबार में चढ़ा दिया गया।”
भूपेश बघेल का पलटवार: “हमारे भी कार्यक्रमों की जांच करवा लें”
BORE BASI SCANDAL पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राधिका खेड़ा के आरोपों पर जवाब देते हुए कहा कि “डॉ. रमन सिंह के 15 साल के कार्यकाल में जितने भी शासकीय कार्यक्रम हुए, उनकी जांच होनी चाहिए। साथ ही हमारे भी 5 साल के शासन में जितने सरकारी आयोजन हुए, उनकी भी जांच करवा लें।”
भूपेश ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा, “अभी जो भाजपा सरकार में शपथ ग्रहण और अन्य आयोजनों में लाखों खर्च हो रहे हैं, उनका भी हिसाब होना चाहिए। विकास यात्रा से लेकर निगम-मंडल शपथ समारोह तक सबकी जांच जरूरी है।”
बोरे-बासी पर सियासत और संस्कृति की जंग
BORE BASI SCANDAL बोरे-बासी छत्तीसगढ़ की परंपरा का हिस्सा है, जिसे पिछली कांग्रेस सरकार ने राज्यव्यापी त्योहार के रूप में मनाया। अब उसी आयोजन पर खर्च को लेकर सियासत गरमा गई है। भाजपा इसे सांस्कृतिक अपमान और भ्रष्टाचार बता रही है, जबकि कांग्रेस इसे एक परंपरा का सम्मान बता रही है।