राजनीति में एक चूक भारी पड़ जाती है। इतना नुकसान हो जाता है कि उसकी भरपाई मुश्किल हो जाती है। भाजपा नेता माने या न माने उनसे यह चूक तो हुई है। अब उन्हें चुनाव में इस चूक का नुकसान ही होगा। भानुप्रतापपुर उपचुनाव एक अहम मौका था भाजपा के लिए यह बताने का उसे जितना कमजोर समझा जा रहा है, वह उतनी कमजोर नहीं है।
भाजपा से पहली चूक तो यह हुई कि उसने ब्रम्हानंद नेताम को प्रत्याशी बनाते वक्त पूरी सावधानी नहीं बरती। यह चूक ब्रम्हानंद नेताम से हुई हो या उनका नाम ऊपर भेजने वालों सेे। यह गलती सुधारी भी जा सकती थी, नेताम की जगह किसी दूसरे से पर्चा भरवाया जा सकता था । भाजपा केे पास समय था अपना प्रत्याशी बदलने के लिए भाजपा के पास एक दिन का समय था।
संभवतः भाजपा ने सोचा कि अब अगर प्रत्याशी बदला गया तो इसका नुकसान चुनाव में होगा। वह यह नही सोच पाई कि यदि प्रत्याशी नहीं बदला गया तो भी नुकसान नहीं होगा। भाजपा सोच रही थी, चुनाव के दौरान ब्रम्हानंद नेताम की गिरफ्तारी नहीं होगी। झारखंड पुलिस अब तक नहीं आई तो वह आएगी भी नहीं। हुआ इसके उल्टा है और भाजपा को अब समझ नही आ रहा है कि क्या किया जाए।झारखंड पुलिस आ गई है और श्री नेताम की तलाश की जा रही है। श्री नेताम पुलिस को अब तक तो नहीं मिले है। अभ स्थिति यह हो गई है कि श्री नेताम की गिरफ्तारी होती है और श्री नेताम गिरफ्चारी से बचने का प्रयास करते है, दोनों ही स्थिति में चुनाव में भाजपा को नुकसान होने की आशंका तो बनी हुई है। इसी मौके का फायदा कांग्रेस जरूर उठाएगी। कांग्रेस का पूरा जोर इस बात पर है कि भाजपा ने दुष्कर्म के आरोपी को अपना प्रत्याशी बनाया है तथा वह इस सचाई के सामने आने के बाद भी उसके साथ ख़ड़ी है। चुनाव में जब अच्छा प्रत्याशी सामने हो तो बुरे प्रत्याशी को कोई वोट देना पसंद नहीं करता है। भाजपा ने बुरे प्रत्यााशी को बदलने का मौका गंवा दिया तो इसका फायदा कांग्रेस उठाएगी ही।वह पांचवा उपचुुनाव भी ज्यादा मतों से जीतना चाहती थी। अब उसक लिए ज्यादा मतों से उपचुनाव जीतना आसान हो गया है। कांग्रेस अपना उपचुनाव जीतन का रिकार्ड बनाए रखेगी तो भाजपा का सभी उपचुनाव हारने का रिकार्ड बना रहेगा।