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BIG NEWS : हर्षा भोगले ने दीप्ति शर्मा रनआउट मामले पर किया कमेंट, जानें पूरा मामला

Harsha Bhogle commented on Deepti Sharma runout case, know the whole matter

डेस्क। भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने हाल ही में वनडे सीरीज में 3-0 से क्लीन स्वीप कर इंग्लैंड को उसी के घर में धो दिया था. कप्तान हरमनप्रीत कौर की अगुवाई में महिला टीम ने इतिहास रचा, लेकिन लॉर्ड्स में खेला गया आखिरी वनडे मैच एक रनआउट की वजह से सुर्खियों में रहा. टीम इंडिया की दीप्ति शर्मा ने इंग्लैंड की चार्ली डीन को ‘मांकड़’ रनआउट किया था, जिसपर बवाल हो गया. यह रनआउट भले ही आईसीसी के नियमों के तहत हुआ था, लेकिन इंग्लैंड के मौजूदा और पूर्व क्रिकेटर इसपर भड़क गए थे.

तमाम तर्कों और बहस के बीच अब दिग्गज कमेंटेटर हर्षा भोगले ने इस मसले पर खुलकर बात की है. हर्षा भोगले ने शुक्रवार को ट्विटर पर एक लंबी थ्रेड के जरिए इस मसले पर बात की और बताया कि किस तरह इंग्लैंड, जहां क्रिकेट पैदा हुआ वो अपनी सोच अन्य लोगों, देशों पर थोपने की कोशिश कर रहा है.

‘मुझे ये बात बहुत ही परेशान कर रही है कि इंग्लैंड की मीडिया का एक बहुत बड़ा हिस्सा एक ऐसी लड़की पर सवाल उठा रहा है जिसने खेल के नियमों के दायरे में रहकर खेला और कोई भी उस खिलाड़ी पर सवाल नहीं उठा रहा है जो ग़ैर-कानूनी तरीक़े से फ़ायदा उठाने की कोशिश कर रही थी और ऐसा वो कई बार कर चुकी थी. इसमें बेहद तर्कसंगत लोग भी शामिल हैं और मुझे लगता है कि इसके पीछे संस्कृति का हाथ है. अंग्रेज़ ये सोच रहे हैं कि जो हुआ वो ग़लत था और क्यूंकि उन्होंने क्रिकेट की दुनिया के बेहद बड़े हिस्से पर राज किया है, इसलिये उन्होंने सभी को ये बताया कि वो ग़लत था.’

‘उपनिवेशी प्रभुता इतनी ताक़तवर थी कि उसपर बहुत कम उंगलियां उठीं. नतीजा ये रहा कि आज भी यही समझा जाता है कि इंग्लैंड जिसे ग़लत समझे, बची हुई क्रिकेट की दुनिया को उसे ग़लत ही समझना चाहिये. ठीक वैसे ही, जैसे ऑस्ट्रेलियाई लक्ष्मण रेखा पार न करने का उपदेश देते हैं. वो लक्ष्मण रेखा, जो उन्होंने अपनी संस्कृति के अनुसार ख़ुद ही खींची है और जो दूसरों के अनुसार ठीक नहीं हो सकती है. बाकी दुनिया इंग्लैंड की सोच के अनुसार चलने के लिये प्रतिबद्ध नहीं है और इसीलिए जो ग़लत है वो हमें साफ़ नज़र आ रहा है. ये भी सोचना ग़लत है कि टर्न लेने वाली पिचें ख़राब हैं और सीमिंग पिचें एकदम सही हैं.’

‘ये संस्कृति का मुद्दा है, ऐसा मैं इसलिये कह रहा हूं क्यूंकि ये ऐसी ही सोच के साथ बड़े होते हैं. इन्हें नहीं समझ में आता कि ये ग़लत है. ऐसे में समस्या खड़ी होती है और इसमें हम भी तब दोषी पाये जाते हैं जब लोग एक-दूसरे के नज़रिये के कारण लोगों को जज करते हैं. इंग्लैंड चाहता है कि बाकी के देश नॉन-स्ट्राइकर बल्लेबाज़ को रन आउट न करे और वो दीप्ति और ऐसा करने वाले बाकी खिलाड़ियों के प्रति बेहद आलोचनात्मक और कटुता से भरे रहे हैं. ऐसे में हम भी ये पुरज़ोर कोशिश कर रहे हैं कि बाकी लोग भी सदियों पुरानी इस गहरी नींद से जागें.’

‘इसके लिये सबसे आसान है कि नियमों के दायरे में रहकर क्रिकेट खेला जाए और क्रिकेट में खेल भावना सरीखी व्यक्तिनिष्ठ व्याख्याओं के फेर में न पड़ें और अपनी ओपिनियन को दूसरों पर थोपना बंद करें.’

‘नियम ये कहता है कि जब तक गेंदबाज़ की बांह अपने सबसे ऊपरी पॉइंट पर रहे, नॉन-स्ट्राइकर को क्रीज़ के पीछे उस वक़्त तक रहना चाहिये. यदि आप इसका पालन करेंगे तो खेल आराम से आगे बढ़ता जायेगा. यदि आप दूसरों पर उंगलियां ही उठाते रहेंगे, जैसा कि इंग्लैंड में कई लोगों ने दीप्ति पर उठायी है, आप अपने लिये सवालों को आमंत्रण देते रहेंगे. ये ज़रूरी है कि ताकतवर स्थिति पर बैठे लोग, या वो जो कभी ताकतवर थे, ऐसा सोचना छोड़ दें कि दुनिया उनके ही हिसाब से चलेगी. जैसा कि समाज में होता है, एक न्यायाधीश ये सुनिश्चित करता है कि विधि का पालन हो, ऐसा ही क्रिकेट में भी होता है. लेकिन जिस तरह से दीप्ति के प्रति कटुतापूर्ण बातें कही गयीं, मुझे इससे बेहद परेशानी हुई. वो नियमों में रहकर खेल रही थी और उसके किये की आलोचना पर तुरंत पूर्ण विराम लगना चाहिये.’

क्या हुआ था मैच में? –

तीन मैच की वनडे सीरीज़ का आखिरी मैच लॉर्ड्स में खेला गया, यह झूलन गोस्वामी का आखिरी वनडे मैच था. टीम इंडिया ने पहले बैटिंग करते हुए 169 का स्कोर बनाया, जवाब में इंग्लैंड की टीम 153 रन ही बना पाई. जब इंग्लैंड के नौ विकेट गिर चुके थे, उस वक्त इंग्लैंड को 39 बॉल में 17 रनों की जरूरत थी. दीप्ति शर्मा बॉलिंग करने आईं और तभी नॉन-स्ट्राइक एंड पर खड़ीं चार्ली डीन जब अपनी क्रीज़ से बाहर निकलीं तो दीप्ति ने उन्हें रनआउट कर दिया. पहले इसे मांकड़िंग कहा जाता था, लेकिन अब आईसीसी के नियमों के मुताबिक यह रनआउट ही है.

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