BHARAT BAND : छ.ग. में रहा भारत बंद का मिला-जुला असर, कोंडागांव में आंदोलनकारी हुए उग्र, भीड़ कलेक्ट्रेट में घुसी ..

BHARAT BAND: Chhattisgarh. There was a mixed effect of Bharat Bandh in Kondagaon, the agitators became furious, the crowd entered the Collectorate..
रायपुर। सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण में क्रीमी लेयर के फैसले के खिलाफ दलित-आदिवासी संगठनों ने बुधवार को भारत बंद बुलाया। छत्तीसगढ़ के कई जिलों में इसका मिला-जुला असर देखने को मिला। हालांकि कोंडागांव में कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने देने गई भीड़ हिंसक हो गई। भीड़ ने बैरिकेड तोड़ दिया और कलेक्ट्रेट परिसर में घुस गई। इस दौरान काफी देर तक हंगामा हुआ। हालांकि मौके पर मौजूद प्रशासन ने भीड़ को काबू किया। हालांकि राजधानी रायपुर में बंद का असर देखने को नहीं मिला। रायपुर में कुछ दुकानें ही बंद रहीं। ज्यादातर मार्केट सुबह से ही खुले रहे।
कोंडागांव में दिखा बंद का असर –
छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में भी भारत बंद का असर साफ देखा गया। एसटी/एससी आरक्षण में क्रीमी लेयर के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में सर्व आदिवासी समाज ने बस्तर बंद का आह्वान किया। सुबह से ही सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे और सुरक्षा के दृष्टिकोण से पुलिस बल चप्पे-चप्पे पर तैनात किया गया। स्थानीय चौपाटी मैदान में सर्व आदिवासी समाज के लोग रैली निकालने की तैयारी कर रहे थे।
पुलिस ने रायपुर नाका पर बेरिकेड्स लगाकर सुरक्षाबलों को तैनात किया ताकि आंदोलनकारी कलेक्ट्रेट परिसर तक न पहुंच सकें। एसडीओपी रूपेश कुमार ने बताया कि पुलिस और सुरक्षाबलों की पूरी तैनाती के बावजूद आंदोलनकारियों ने शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
उग्र हुए लोग –
बंद का मिला-जुला असर –
जशपुर में भी बंद का मिला-जुला असर देखने को मिला। इसके अलावा रायपुर में सर्व आदिवासी समाज की मांग पर समर्थन नहीं मिलने से समाज के लोग गुस्से में दिखाई दिए। दुर्ग जिले में भी कुछ दुकानें बंद रहीं, लेकिन फिर शाम को खोल दी गईं। बस और अन्य परिवहन सेवाएं चलती रही। प्रदेश के ज्यादातर जिलों में रैली निकाली गई। इस दौरान बंद का समर्थन करने वाले संगठन के कार्यकर्ता शामिल हुए।
क्या बुलाया गया है भारत बंद –
बता दें, उच्चतम न्यायालय में काफी लंबे समय से सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए एससी, एसटी वर्ग को सब कैटेगरी में रिजर्वेशन दिए जाने की मांग का मामला लंबित था। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में एक अगस्त को बड़ा फैसला सुनाते हुए अपने ही 2004 के पुराने फैसले को पलट दिया। इसके बाद न्यायालय ने पंजाब अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 2006 और तमिलनाडु अरुंथथियार अधिनियम पर अपनी मुहर लगाकर कोटा के अंदर सब कैटेगरी को मंजूरी दे दी।