
भाई-बहन के पावन रिश्ते के बीच भद्रा इस बार बाधा बनकर खड़ी हो गई है। लोगों में भ्रम है कि रक्षाबंधन 30 को मनाएं या 31 को। ऐसा इसलिए क्योंकि 30 तारीख को पूर्णिमा भी है और भद्रा भी। भद्रा में राखी बांधना निषेध है। 31 को पूर्णिमा तिथि नहीं रहेगी। ऐसे में बहनें कंफ्यूज हैं कि भाई की कलाई कब सजाएं!
इस शंका का समाधान करते हुए महामाया मंदिर के सहायक पुजारी पं. मनोज शुक्ला कहते हैं, पिछले साल की तरह इस बार भी रक्षाबंधन को लेकर शंका है। इसका कारण ये है कि 30 अगस्त को पूर्णिमा और भद्रा दोनों ही एक साथ सुबह 10.58 बजे से शुरू हो रहे हैं। भद्रा रात 9.02 तक रहेगी। शास्त्रों के मुताबिक, भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। पूर्णिमा तिथि सुबह नहीं रहेगी। ऐसे में सुबह भी राखी नहीं बांधनी जा सकती।
ये है समाधान… उपरोक्त शंका का समाधान यही है कि 30 तारीख की रात 9.02 बजे से रक्षाबंधन मना सकते हैं। चूंकि बरसात के दिनों में रात में रक्षाबंधन मनाना हर किसी के लिए संभव नहीं है। दूसरी ओर बहुत से पुरोहित इस दिन घर-दुकानों में जाकर यजमानों के काम-काज से संबंधित मशीनों को भी पाट राखी (रक्षा सूत्र) बांधते हैं। उनके लिए भी रात में किसी के घर या दुकान जाना व्यवहारिक नहीं है। ऐसे में सबसे सही उपाय यही है कि 30 तारीख को भद्रा खत्म होने के बाद राखी भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में अर्पित कर दें। अगले दिन यानी 31 तारीख को ये राखियां भाई की कलाई या अन्य उपकरणों में बांधी जा सकती हैं। 31 तारीख को पूरे दिन रक्षाबंधन मना सकते हैं।