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मार्कफेड के रीजनल असिस्टेंट के तबादले पर रोक, हाईकोर्ट ने कहा- शासकीय सेवक पति-पत्नी को अलग-अलग नहीं रखा जा सकता

बिलासपुर : हाईकोर्ट ने मार्कफेड के रीजनल असिस्टेंट के तबादला आदेश पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। कोर्ट ने माना है कि अगर पति-पत्नी शासकीय सेवा में है तो उन्हें अलग-अलग जगहों पर पदस्थ करना उचित नहीं है। इस आदेश के साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का एक माह के भीतर शासन के नियमानुसार निराकरण करने का आदेश दिया है।

नरेश नायक कोरबा जिले में राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) में क्षेत्र सहायक के पद पर कार्यरत हैं। कुछ समय पहले उनका स्थानांतरण कोरबा से राजनांदगांव जिले के घुटिया में कर दिया गया है। ट्रांसफर आदेश जारी होने के साथ ही विभागीय अफसरों ने उन्हें एकतरफा कार्य मुक्त कर दिया। राजनांदगांव के घुटिया में कार्य भार ग्रहण करने के बजाए नरेश नायक ने अपने स्थानांतरण आदेश को चुनौती देते हुए अधिवक्ता समीर सिंह के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। इसमें बताया गया कि राज्य शासन ने स्थानांतरण नीति बनाई है। इसमें स्पष्ट है कि कोई भी शासकीय अधिकारी या कर्मचारी पति-पत्नी कार्यरत है तो उन्हें एक ही जगह पर पदस्थ किया जाना है। लेकिन, मार्कफेड के महाप्रबंधक ने नियमों को दरकिनार कर याचिकाकर्ता का तबादला राजनांदगांव जिले में कर दिया है। याचिका में बताया गया कि उनकी पत्नी भी शासकीय सेवा में है और कोरबा जिले में पदस्थ हैं। ऐसे में उनका तबादला शासन की नीति के विपरीत है। सोमवार को शीतकालीन अवकाश के दौरान जस्टिस पीपी साहू की स्पेशल बेंच में हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होकर उन्होंने स्थानांतरण आदेश पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। साथ ही याचिकाकर्ता को अपने जगह पर पूर्ववत काम करने के निर्देश दिए है। इस आदेश के साथ ही कोर्ट ने महाप्रबंधक को आदेशित किया है कि याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का शासन के नियमानुसार एक माह के भीतर निराकरण किया जाए।

पति-पत्नी अलग होने के साथ ही बच्चों को भी होगी दिक्कत
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता समीर सिंह ने कोर्ट में तर्क दिया कि यह स्थानांतरण बीच सत्र में किया गया है, जो शासन के नीति के खिलाफ है। एक तो पति-पत्नी को अलग-अलग जगह पदस्थ नहीं किया जा सकता और दूसरा बीच सत्र में तबादला होने के कारण याचिकाकर्ता के बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी। याचिकाकर्ता साल 2019 में सूरजपुर जिले में पदस्थ थे, तब पत्नी के कोरबा जिले में पदस्थापना होने का हवाला देकर अपना तबादला कोरबा कराया था। दूसरी ओर अब उनका स्थानांतरण आदेश जारी कर पत्नी से अलग किया जा रहा है, जो नियम के खिलाफ है।

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