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ARPA BHAINSAJHAR CANAL SCAM : अरपा-भैंसाझार नहर घोटाला, 400 करोड़ के मुआवजा घोटाले की जांच के आदेश, 11 अधिकारी दोषी

ARPA BHAINSAJHAR CANAL SCAM : Arpa-Bhainsajhar canal scam, order to investigate compensation scam of 400 crores, 11 officers guilty

रायपुर। ARPA BHAINSAJHAR CANAL SCAM छत्तीसगढ़ की बहुचर्चित अरपा-भैंसाझार नहर परियोजना में बड़े पैमाने पर घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। करीब 400 करोड़ रुपये के मुआवजा घोटाले में राजस्व और सिंचाई विभाग के अफसरों की मिलीभगत सामने आई है। आरोप है कि अफसरों ने कागजों में नहर का डिजाइन बदलकर मुआवजा वितरण में अपने खास लोगों को लाभ पहुंचाया। किसानों की जमीन पर कब्जा कर मुआवजा व्यापारी को दिला दिया गया। मुख्यमंत्री ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) से जांच कराने के आदेश दिए हैं।

ARPA BHAINSAJHAR CANAL SCAM सूत्रों के मुताबिक, परियोजना के तहत किसानों की जमीन पर नहर बनाई गई, लेकिन मुआवजा का लाभ एक व्यापारी को दिला दिया गया। पटवारी और एसडीएम ने नहर का नक्शा कागजों में ही बदल दिया। कोटा के तत्कालीन एसडीएम आनंदस्वरूप तिवारी और पटवारी मुकेश साहू पर मुख्य आरोप हैं। किसान मुआवजा के लिए भटकते रहे, जबकि व्यापारी को 3.42 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया।

ARPA BHAINSAJHAR CANAL SCAM मुआवजा घोटाले की जांच में कोटा के दो एसडीएम, नायब तहसीलदार, आरआई और पटवारी समेत 11 अफसरों को दोषी पाया गया। कलेक्टर की जांच रिपोर्ट में इन अफसरों के नाम स्पष्ट रूप से दर्ज हैं। इनमें से कुछ पर सिर्फ नाम मात्र की कार्रवाई हुई, जबकि मुख्य आरोपी तत्कालीन एसडीएम आनंदस्वरूप तिवारी को बिलासपुर आरटीओ की जिम्मेदारी दे दी गई।

जांच में दोषी पाए गए अधिकारी –

आनंदस्वरूप तिवारी, तत्कालीन एसडीएम कोटा

कीर्तिमान सिंह राठौर, तत्कालीन एसडीएम कोटा

मोहरसाय सिदार, नायब तहसीलदार

हुल सिंह, आरआई

दिलशाद अहमद, पटवारी

मुकेश साहू, पटवारी

सिंचाई विभाग के दोषी अधिकारी –

आरएस नायडू, तत्कालीन ईई कोटा

एके तिवारी, ईई कोटा

राजेंद्र प्रसाद मिश्रा, तत्कालीन एसडीओ कोटा

आरपी द्विवेदी, तत्कालीन एसडीओ तखतपुर

आरके राजपूत, सब इंजीनियर तखतपुर

घोटाले का तरीका –

ARPA BHAINSAJHAR CANAL SCAM पटवारी मुकेश साहू ने नहर का एलाइमेंट 200 मीटर आगे खिसका दिया, ताकि व्यापारी मनोज अग्रवाल की बंजर जमीन पर नहर दिखाई जा सके। इस जमीन को दोफसली और रिहायशी घोषित कर 3.42 करोड़ रुपये का मुआवजा दे दिया गया। किसानों की जमीन पर बनी नहर के बावजूद उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया।

गड़बड़ियों की लंबी फेहरिस्त –

बिना राजपत्र प्रकाशन के जमीन का अधिग्रहण

मुआवजा के कागजों में बार-बार बदलाव

जमीन का रकबा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया

झोपड़ी को मकान घोषित किया गया

बंजर जमीन को दोफसली बताकर ज्यादा मुआवजा

परियोजना का हाल –

ARPA BHAINSAJHAR CANAL SCAM अरपा-भैंसाझार नहर परियोजना के लिए शुरू में 606 करोड़ रुपये का बजट था, जो बढ़कर अब 1141.90 करोड़ रुपये हो चुका है। 370.55 किलोमीटर नहर निर्माण का लक्ष्य था, लेकिन अब तक सिर्फ 229.46 किलोमीटर ही नहर बन पाई है।

ARPA BHAINSAJHAR CANAL SCAM इस घोटाले की जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की उम्मीद है। मुख्यमंत्री ने सभी दोषी अफसरों के खिलाफ कठोर कदम उठाने के संकेत दिए हैं।

 

 

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