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बालको की परियोजना मोर जल मोर माटी से लगभग 2000 किसान लाभान्वित

कोरबा। भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने साढ़े पांच दशकों में विश्वस्तरीय धातु उत्पादन, उत्पादकता, गुणवत्ता और उत्कृष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में मिसाल बनाई है। सामुदायिक विकास परियोजना के जरिए किसानों को आधुनिक खेती के अनेक आयामों से परिचित कराया है। बालको स्थानीय समुदाय के आर्थिक-सामाजिक विकास को सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। कंपनी के सामुदायिक विकास परियोजना ‘मोर जल मोर माटी’ का प्रमुख उद्देश्य सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने, फसल उत्पादन में वृद्धि, किसानों को नवीनतम कृषि तकनीकों से अवगत कराने के साथ जल और मृदा प्रबंधन को उत्कृष्ट बनाना है। परियोजना का मुख्य घटक कृषि, जल प्रबंधन, पशुपालन, मत्स्य पालन, बाड़बंदी, वनोपज एवं वन संरक्षण और लाख की खेती शामिल है। परियोजना 1200 एकड़ से अधिक भूमि के साथ 2000 किसानों तक अपनी पहुंच बना चुका है। 500 से अधिक किसानों ने आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाया है जिससे उनकी औसत वार्षिक आय के साथ-साथ उत्पादन में लगभग दो गुना वृद्धि हुई है। तकनीकी सहयोग से लागत में 35% की कमी आई है। आसपास के लगभग 60% किसान आधुनिक कृषि तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। इस परियोजना से युवा कृषि को मुख्य व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित हुए हैं। ‘मोर जल मोर माटी’ पहल में लगभग 25% लाभार्थी युवा किसान हैं।

बालको द्वारा कृषि उन्नयन को सदैव ही सर्वोपरि स्थान देने पर बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक अभिजीत पति ने कहा कि हमारे किसान देश के आर्थिक विकास के प्रमुख अंग हैं। कृषि और ग्रामीण विकास क्षेत्र में कंपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बालको प्रशिक्षित किसानों ने जैविक खेती, कृषि नवाचार और नवीन तकनीकों की मदद से विभिन्न फसलों का उत्पादन बढ़ाने में सफलता पाई है। कृषि प्रोत्साहन परियोजना ‘मोर जल मोर माटी’ से किसानों को लाभ मिल रहा है। पति ने कहा कि हम अपने सामुदायिक विकास कार्यक्रम के जरिए जरूरतमंदों किसानों की हरसंभव मदद करने के लिए कटिबद्ध है। स्थानीय किसानों को आत्मनिर्भर बनाने एवं उनकी आय में बढ़ोत्तरी करने हेतु बालको ने कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में संसाधन उपलब्ध कराए हैं। कृषि तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए बालको की प्रतिबद्धता के अनुरूप बोरवेल (सौर संचालित), कुआं, तालाब, चेक डेम का निर्माण एवं नवीनीकरण के माध्यम से सुरक्षित सिंचाई को सुनिश्चित कर, बिजली और डीजल पंपों के माध्यम से सूक्ष्म सिंचाई तथा ड्रिप सिंचाई प्रणाली और सौर संचालित पंपों को बढ़ावा देकर किसानों को जल प्रबंधन पालन के प्रति जागरूक किया है। सिस्टमेटिक राइस इंटेंसीफिकेशन (एसआरआई) और डीएसआर तकनीक से धान की उत्पादकता में बढ़ोत्तरी, जैविक खेती तकनीक से रबी और साग-सब्जी के फसल तथा बाड़बंदी के माध्यम से फसल को जंगली जानवरों से बचाने में सहायक साबित हुआ है।

कृषि की अत्याधुनिक तकनीकों से ग्रामीणों को परिचित कराने के उद्देश्य से मॉडल एग्री-फार्म वेदांत एग्रीकल्चर रिसोर्स सेंटर (वीएआरसी) विकसित किया गया है। इसका संचालन कृषक उत्पादक संघ (एफ.पी.ओ.) द्वारा किया जाता है। इस केंद्र में कृषकों को मृदा परीक्षण, सिंचाई की अत्याधुनिक सुविधाएं, सब्जी की खेती, मल्टीलेयर फार्मिंग, एसआरआई, एसडब्ल्यूआई, ट्रेलिस फार्मिंग, हाइड्रोपोनिक्स और बायो फ्लोक के माध्यम से मत्स्य पालन तथा सब्जियों के संरक्षण विशेषज्ञों द्वारा कृषि की अत्याधुनिक तकनीकों और शासकीय योजनाओं की जानकारी दी जाती है। कृषि नवाचार को बढ़ावा देने की दृष्टि से कुछ विदेशी सब्जियों के उत्पादन की परियोजना भी शुरू हो चुकी है।

बेला गांव के किसान अनिल कुमार राठिया ने कहा कि हम जैविक खेती और चावल के नवीन विधि एसआरआई पद्धति की शुरूआत करने के लिए बालको के बहुत आभारी हैं। तकनीकों ने वास्तव में फसल लागत को कम करने और उपज की उत्पादकता बढ़ाने में हमारी मदद की है। बालको अपने सामुदायिक विकास संकल्प से स्थानीय किसानों को सशक्त बनाने का मजबूत स्तंभ साबित हुआ है।

परिवर्तन की एक ऐसी कहानी बेलकछार गांव के स्वर्गीय मनीराम विश्वकर्मा की पत्नी मांगली बाई की है। पति की मृत्यु के बाद मांगली बाई अपनी आजीविका चलाने में मुश्किल का सामना कर रही थी। उनके पास केवल 0.4 एकड़ भूमि थी जिसका उपयोग आवासीय और खेती दोनों उद्देश्यों के लिए किया जाता था। 1.5 एकड़ भूमि पर मांगली बाई को बिना किसी किराए केवल उपज के एक हिस्से के साथ एक किसान ने भूमि पर खेती करने की अनुमति दी।

मोर जल मोर माटी परियोजना के तहत मांगली बाई ने रबी फसल के दौरान 0.3 एकड़ भूमि के लिए परियोजना के माध्यम से फूलगोभी, मूली, लाल सब्जी और पालक की खेती के लिए बीजों, जैव कीटनाशकों और उर्वरक के रूप में सहायता प्रदान की गई। शेष भूमि के लिए स्वयं मंगली बाई ने की व्यवस्था थी। परियोजना टीम ने विशेषज्ञता और सर्वोत्तम कृषि पद्धतियों के साथ उनकी सहायता की। इस रबी फसल 2022 में पहले से ही 1 एकड़ भूमि पर लौकी, ककड़ी, भिंडी और हरी पत्तियों की खेती करने के लिए हैंडहोल्डिंग सपोर्ट और तकनीकी सहायता से खेती शुरू कर चुकी हैं।

मोर जल मोर माटी परियोजना के तहत मांगली बाई ने रबी फसल के दौरान 0.3 एकड़ भूमि के लिए परियोजना के माध्यम से फूलगोभी, मूली, लाल सब्जी और पालक की खेती के लिए बीजों, जैव कीटनाशकों और उर्वरक के रूप में सहायता प्रदान की गई। शेष भूमि के लिए स्वयं मंगली बाई ने की व्यवस्था थी। परियोजना टीम ने विशेषज्ञता और सर्वोत्तम कृषि पद्धतियों के साथ उनकी सहायता की। इस रबी फसल 2022 में पहले से ही 1 एकड़ भूमि पर लौकी, ककड़ी, भिंडी और हरी पत्तियों की खेती करने के लिए हैंडहोल्डिंग सपोर्ट और तकनीकी सहायता से खेती शुरू कर चुकी हैं।

मोर जल मोर माटी के प्रशिक्षण से पहले मंगली बाई बिना जानकारी पारंपरिक तरीके से जमीन के एक छोटे हिस्से में सब्जी की खेती करने के परिणामस्वरूप कम उत्पादन और लाभ हुआ। परियोजना टीम द्वारा नियमित प्रशिक्षण सत्रों से मंगली बाई भूमि की तैयारी, उर्वरता, मौसम के अनुसार अच्छे बीजों की पहचान और प्रत्यारोपण विधियों के साथ कीटनाशकों और पौधों के उपयोग में उन्नत प्रक्रियाओं को सीखने में सक्षम हो पाई। परियोजना और सभी के समर्थन से अब मांगली बाई सब्जियों को बाजार में बेचती हैं जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई है।

बालको अपने सामुदायिक विकास परियोजना के माध्यम से सालाना लगभग 1.5 लाख लोगों के जीवन को छूती है। कंपनी के सामुदायिक विकास के बुनियादी ढांचे में शिक्षा, स्थायी आजीविका, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य संपदा, स्वच्छता, खेल और संस्कृति आदि शामिल है। सामुदायिक विकास प्रयास 123 से अधिक गांवों तक पहुंच चुका है। कंपनी की सीएसआर नीतियों और प्रणालियों का जमीन पर स्थायी प्रभाव स्थानीय समुदाय में दिखाई पड़ता है। जिससे ये समुदाय राष्ट्र की प्रगति में समान भागीदार का हिस्सा बनते हैं।

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