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India’s Summit With Europe : भारत और यूरोप के बीच शिखर संवाद, 3 देशों के दौरे पर जाएंगे प्रधानमंत्री मोदी, जानें क्यों है जरूरी !

India’s Summit With Europe: Summit between India and Europe, Prime Minister Modi will go on a three-nation tour, know why it is important!

डेस्क। रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारतीय रुख से लेकर रूस से तेल खरीद पर उठाए जा रहे सवालों के बीच अगले एक पखवाड़े में भारत और यूरोप के बीच शिखर संवाद का सिलसिला नज़र आएगा। इस कड़ी में जहां ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन और यूरोपीय संघ की प्रमुख उरसुला वान दर लियां जैसे नेता भारत आ रहे हैं। वहीं मई के पहले हफ़्ते में पीएम मोदी तीन देशों के यूरोप दौरे पर होंगे। साल 2022 के इस अपने पहले विदेश दौरे में पीएम मोदी जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस यात्रा पर जाएंगे। पीएम की इस यूरोप यात्रा के एजेंडा में द्विपक्षीय संबंधों से लेकर क्षेत्रीय समीकरणों और व्यापार-निवेश तक कई अहम मुद्दे हैं।

भारत के लिए तीसरा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है यूरोपीय संघ –

कूटनीतिक सूत्रों के अनुसार यूरोप और भारत एक-दूसरे की अहमियत जानते हैं। यही वजह है कि दोनों ही तरफ इस बात का एहसास है कि उच्च स्तरीय संवाद और बातचीत के ज़रिए एक-दूसरे के पक्ष को समझते हुए आगे बढ़ा जाए, ताकि साझेदारी की अहम परियोजनाएं प्रभावित न हों। भारत के लिए यूरोपीय संघ तीसरा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है। वहीं यूरोप के लिए भी भारत न केवल एक बड़ा बाज़ार है बल्कि सप्लाई चेन मज़बूत बनाने की कोशिशों का केंद्र भी है। भारत और यूरोप के बीच बीते साल ही व्यापक व्यापारिक समझौते को लेकर बातचीत का सिलसिला शुरु हुआ है।

हालांकि कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक पीएम के इस दौरे की तैयारियों को अभी अंतिम रूप दिया जा रहा है। ऐसे में अगर कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ तो पीएम 1-5 मई तक तीनों यूरोपीय देशों की यात्रा पर होंगे। जर्मनी में जहाँ पीएम मोदी नए जर्मन चांसलर ओलोफ शुल्टज के साथ उच्च स्तरीय मुलाकात करेंगे। दोनों नेताओं के बीच यह पहली आमने-सामने की मुलाक़ात होगी। वहीं डेमनार्क में भारत-नॉर्डिक क्षेत्र देशों के बीच शिखर वार्ता के साथ ही मोदी की कई अहम द्विपक्षीय मुलाकातें होनी हैं। यूरोप के नॉर्डिक क्षेत्र में डेनमार्क के अलावा फ़िनलैंड, स्वीडन, नॉर्वे, आइसलैंड आदि देश आते हैं।

कोपनहेगन में भारतीय समुदाय के लोगों से संवाद करेंगे मोदी –

डेनमार्क यात्रा के दौरान पीएम मोदी कोपनहेगन में भारतीय समुदाय के लोगों के साथ भी संवाद करेंगे। लंबे अर्से बाद पीएम विदेशी धरती पर भारतीय मूल के लोगों से संवाद करते नज़र आएंगे। गौरतलब है कि पीएम की डेनमार्क यात्रा से पहले भारत के हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से मोटे धान का निर्यात शुरु किया गया है। यूरोप के देशों में भारत अपने कृषि उत्पादों के लिए बड़ा बाज़ार देख रहा है। बीते साल भारत अक्टूबर में भारत दौरे पर आईं डेनमार्क की पीएम मेते फ्रेड्रिकसन की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच जलवायु परिवर्तन, ग़ैर-पारंपरिक ऊर्जा तकनीक से लेकर कृषि तक कई क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा हुई थी।

पीएम मोदी का फ्रांस दौरा भी अहम –

यूरोप दौरे के कड़ी में पीएम फ्रांस भी जाएंगे। राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों के चुनाव अभियान के बीच पीएम मोदी के छोटे पेरिस दौरे को भी अहम माना जा रहा है। ध्यान रहे कि राष्ट्रपति मैक्रों ने भारत-फ्रांस संबंधों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पीएम की इस यात्रा में भारत और फ़्रांस के बीच नए निवेश और व्यापार समझौतों पर दस्तख़त की उम्मीद की जा रही है। यूरोपीय संघ की प्रमुख उरसुला वान दर लियां के 24-25 अप्रैल की भारत यात्रा और उससे पहले ब्रिटिश पीएम की 21-22 अप्रैल के भारत दौरे में भी शीर्ष संवाद की कड़ी को बढ़ाने की ही क़वायद होगी।

ग़ौरतलब है कि यूरोपीय देश यूक्रेन युद्ध के मद्देनज़र भारत से रूस के खिलाफ सख़्त रुख़ अपनाने और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों में शामिल होने का आग्रह कर रहे हैं। वहीं बीते दिनों भारत ने रूस से तेल जारी तेल ख़रीद के मामले में यूरोपीय संघ के फ़ैसलों पर भी तंज किया था। अमेरिका में हुई 2+2 वार्ता के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान भारत को दी जा रही सलाहों और नसीहतों पर कहा था कि जितना तेल यूरोप एक दोपहर में रूस से ख़रीदता है उतना तेल भारत एक महीने में लेता है। लिहाज़ा नसीहतें देने वाले तथ्य भी देख लें।

 

 

 

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