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- मिश्रा पारा में कथाव्यास ने सुनाई श्रीराम एवं कृष्ण जन्म की कथा
संजय महिलांग/नवागढ़। भगवान श्रीकृष्ण की जन्म कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। कथा व्यास पंडित अरुण दुबे ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था। उन्होंने कहा कि जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं।
मिश्रा पारा नवागढ़ वार्ड 07 में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग व उनके जन्म लेने के गूढ़ रहस्यों को कथा व्यास पंडित दुबे ने बेहद संजीदगी के साथ सुनाया। कथा प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। कथा का संगीतमयी वर्णन सुन श्रद्धालुगण झूमने लगे।
इसके पूर्व पं दुबे ने गजेंद्र मोक्ष राम जन्म की कथा सुनाते हुए कहा कि तालाब में स्नान करने गए गजेंद्र का पैर घड़ियाल ने पकड़ लिया था जिसकी पीड़ा से गजेंद्र परेशान थे। और उन्होंने भगवान का स्मरण किया जिसके बाद भगवान नारायण पहुंचकर गजेंद्र को मुक्त कराया। इसके बाद अयोध्या में जन्मे भगवान श्री राम की कथा सुनाई इसमें बताया कि राजा दशरथ महारानी कौशल्या के घर जन्म हुआ भगवान श्री राम ने मर्यादा स्थापित कर मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाया है।
धन-सम्पति का कमी नहीं करना चाहिए अभिमान
व्यास ने वामन अवतार की कथा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मांगने वाला हमेशा छोटा होता है अतः भगवान को बलि से मांगना था तो वह भी वामन हो गए और राजा बलि जिसे अपने वैभव का अभिमान था उसे समाप्त करने और बलि का सर्वस्व हरण करने के लिए वामन भगवान उसके द्वार पर पधारे और सब कुछ हरण कर लिया। अतः जीव को धन-सम्पति का कमी अभिमान नहींं करना चाहिए।
कथा श्रवण के लिए कमलेश शर्मा,महेश मिश्रा, राजेन्द्र मिश्रा, मनभर मिश्रा, राकेश जायसवाल, अश्वनी धर दीवान,दारा मिश्रा, पं सुंदरम पाठक, रामावतार, संतोष, दिनेश, बीरबल, सन्तु, विनोद, कृष्णकुमार, बबला, रमेश चौहान, तुलसीराम चौहान, दिनेश साहू, सालिकराम श्रीवास्तव, जुठेल सिन्हा, रामनारायण पाठक, खेलन यादव, बहोरन ठाकुर, बिहारी श्रीवास्तव, वीरेन्द्र चौबे, रामभरोस सिन्हा, रामधुन रजक, सचित केशरवानी, बसीर खान, राजा बिसेन, मुन्ना तंबोली, बीरू जैन, जुठेल सोनकर, सहित आसपास के तमाम भक्त मौजूद रहे।