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चार दिसम्बर को आंध्र-ओडिशा तट से टकराएगा चक्रवाती तूफान; छत्तीसगढ़ में भी आंधी-बरसात के आसार

रायपुर। छत्तीसगढ़ में मौसम की मार से जैसे-तैसे बचे धान पर ‘जवाद’ नाम का एक खतरा मंडरा रहा है। यह एक चक्रवाती तूफान है जो बंगाल की खाड़ी में उठा है। मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक यह तूफान चार दिसम्बर को ओडिशा और आंध्र प्रदेश के तट से टकराएगा। इसके प्रभाव से उन क्षेत्रों में भारी बारिश होगी। छत्तीसगढ़ में भी तीन से छह दिसम्बर के बीच तेज हवाओं और बरसात के आसार बन रहे हैं।

रायपुर मौसम विज्ञान केंद्र के विज्ञानी एचपी चंद्रा ने बताया, प्रारंभिक सूचना के अनुसार मध्य अंडमान सागर और उसके आसपास एक कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। उसके साथ ही एक ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती घेरा भी 5.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर बन रहा है। गुरुवार को प्रबल होकर यह पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा में आगे बढ़ते हुए अवदाब में बदल जाएगा। इसके पुनः प्रबल होकर एक चक्रवात के रूप में मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर अगले 24 घंटे में पहुंचने की संभावना बन रही है।

इसके उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर आगे बढ़ते हुए 4 दिसंबर की सुबह उत्तर आंध्र प्रदेश और उड़ीसा तट से टकराने की संभावना बन रही है। इसकी वजह से ओडिशा और आंध्र प्रदेश में भारी बरसात होगी। अनुमान है कि ओडिशा और आंध्र प्रदेश से लगे छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती जिलों में इसके प्रभाव से तेज हवाएं चलेंगी। कहीं-कहीं बरसात भी हो सकता है। मौसम विज्ञानियों का अनुमान है कि बरसात का अधिकतर क्षेत्र दक्षिण छत्तीसगढ़ ही रहेगा।

छत्तीसगढ़ में धान की कटाई अंतिम चरण में है। नवम्बर में हुई बेमौसम बरसात से किसानों की खड़ी फसल को भी नुकसान हुआ था। काटकर और मिंजाई के बाद रखी फसल भी गीली हुई। किसान अभी उस फसल को किसी तरह सुखाकर बचाने की कोशिश में लगे हैं। अगर दिसम्बर में भी बरसात होती है तो फसल का अधिकांश हिस्सा बर्बाद हो सकता है।

प्रदेश में धान की सरकारी खरीदी एक दिसम्बर से शुरू हुई है। इसके लिए 2 हजार 399 केंद्र बने हैं। सरकार ने पहले ही दिन 88 हजार मीट्रिक टन से अधिक धान खरीद लिया। यह धान खरीदी केंद्रों पर खुले में पड़ा है। अगर तेज हवाओं के साथ बरसात हुई ताे यह धान भी भीगेगा। अगर ऐसा हुआ तो सरकार को भी भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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