जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर सरकार और सुरक्षा बलों की सख्त रणनीति का असर अब साफ दिखने लगा है। एक समय राज्य के घने जंगलों में निर्दोषों का खून बहाने वाले नक्सली अब सरकार की पुनर्वास नीति और सुरक्षाबलों की लगातार कार्रवाई के आगे हथियार डालने को मजबूर हो रहे हैं। कल यानी शुक्रवार 17 अक्टूबर को प्रदेश में नक्सल उन्मूलन के इतिहास का एक बड़ा अध्याय लिखा जाएगा, जब 140 से अधिक नक्सली मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सामने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटेंगे। आत्मसमर्पण से ठीक एक दिन पहले नक्सलियों के प्रवक्ता रहे रूपेश उर्फ तक्कलापल्ली वशुदेव राव (सतीश) ने अपने साथियों के नाम एक संदेश जारी किया है।
उन्होंने कहा कि हमारे जो साथी अब भी सशस्त्र संघर्ष जारी रखना चाहते हैं, उन्हें यह समझना होगा कि हमने यह निर्णय किन परिस्थितियों में लिया है। कुछ साथियों को हमारे तरीके पर आपत्ति है, लेकिन यह समझना जरूरी है कि इस रास्ते को अपनाने की हमारी मजबूरी क्या थी। मैं सभी साथियों से कहना चाहता हूं कि अब सबसे पहले हमें अपनी सुरक्षा के बारे में सोचना होगा। पहले खुद को बचाना जरूरी है, उसके बाद ही आगे की दिशा पर विचार किया जा सकता है।
आत्मसमर्पण की प्रक्रिया में शामिल होने वालो के लिए जारी किया मोबाइल नंबर
रूपेश ने कहा इस समय जो मौका मिला है, उसका सही उपयोग करें। हमारे कई साथियों को अभी इस प्रक्रिया की जानकारी नहीं है, खासकर वे जो दूसरे राज्यों में हैं। जब यह खबर मीडिया के माध्यम से सामने आएगी, तो वे भी इस दिशा में सोच सकेंगे। जो साथी इस प्रक्रिया में जुड़ना चाहते हैं या अपने विचार साझा करना चाहते हैं, वे मुझसे संपर्क कर सकते हैं। इसके लिए उन्होंने एक मोबाइल नंबर 62671383163 भी जारी किया है, ताकि बाकी नक्सली भी आत्मसमर्पण की प्रक्रिया में शामिल हो सकें। रूपेश ने कहा मैं उम्मीद करता हूं कि सभी साथी इस संदेश को गंभीरता से लें और सही निर्णय लें।़
