
KHABAR CHALISA SUNDAY SPECIAL Sideways Look: Uniformed Police Officer
आईपीएस के 1992 बैच के अफसर अरुण देव गौतम ने डीजीपी बनने के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली में बदलाव लाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं और कई कदम भी उठाए हैं।
गौतम ने पीएचक्यू के सभी अफसरों को शुक्रवार को ड्रेस में आने के निर्देश दिए हैं। अब शुक्रवार को खुद डीजीपी से लेकर पीएचक्यू के हर अफसर वर्दी में देखे जा सकते हैं। यही नहीं, सभी जिलों में शुक्रवार को ही परेड अनिवार्य रुप से करने के आदेश दिए हैं। इसकी वीडियो क्लीपिंग डीजीपी को भेजना होगा।
यदि किसी वजह से परेड नहीं हो पाता है तो इसकी सूचना भी लिखित रुप से देनी होगी। पिछले दिनों सरगुजा संभाग के एक जिले में भारी बारिश की वजह से परेड नहीं हो पाया। इसकी सूचना डीजीपी को दी गयी। पुलिस में अनुशासन लाने के लिए गौतम काफी मेहनत करते दिख रहे हैं।
पुलिस एक्ट पर नजर रखने नियुक्ति
आईपीएस के 1990 बैच के रिटायर्ड अफसर आईजी प्रदीप तिवारी को संविदा नियुक्ति दी गयी है। दरअसल, आल इंडिया आईपीएस एसोसिएशन की सलाह पर केन्द्र सरकार ने पुलिस एक्ट को प्रभावशील बनाने और जनता के बीच छवि बेहतर करने के लिए राज्यों में अफसर की नियुक्ति करने के आदेश दिए हैं।
छत्तीसगढ़ में संविदा पर ओएसडी के लिए कई आवेदन आए थे लेकिन प्रदीप तिवारी से सीधे बातचीत कर नियुक्ति दी गयी है। प्रदीप तिवारी भी आईजी दफ्तर में ही बैठ रहे हैं । तिवारी लंबे समय तक पीएचक्यू में काम कर चुके हैं। उन्हें नियमों की अच्छी जानकारी है और सबसे खास बात यह है कि उनकी छवि अच्छी है। इन्हीं वजह से उन्हें ओएसडी बनाया गया है।
बेटे को छुड़ाने दिग्गज का छूटा पसीना
ड्रग्स और शराब के मामले में राजनेताओं के बच्चों के नाम आ रहे हैं। ये अलग बात है कि मामला दब -छिप जा रहा है। इसी तरह का एक मामला कवर्धा जिले में आया है।
हल्ला हैं कि कवर्धा के एक बड़े नेता के साहबजादे जुआ खेलते पकड़े गए। नेताजी ने दम लगाया लेकिन रकम इतनी ज्यादा थी कि पुलिस के लिए छोडऩा आसान नहीं था। फिर नेताजी ने इज्जत बचाने के लिए सरकार तक बात पहुंचाई। फिर क्या था रायपुर से सीधे फोन पहुंच गया। पुलिस ने किसी तरह साहबजादे को छोड़ा क्योंकि मामला काफी बड़ा बन सकता था। राजनीतिक नुकसान होता,सो अलग। कई घंटे की मशक्कत के बाद ही मामला रफा-दफा हो पाया।
सौरभ लूनिया कौन है?
खेल विभाग में सप्लाई की गूंज चारों तरफ होने लगी है। मंत्री टंकराम वर्मा को हवा नहीं लगी, और विभाग में सप्लायर सौरभ लूनिया ने अपना कारोबार कर लिया। बस्तर ओलंपिक से लेकर सप्लाई ठेके में लूनिया का नाम ही सुनने को मिल रहा।
चर्चा है कि एक मैडम का लूनिया को वरदहस्त मिला हुआ है। मैडम की जहां जहां पोस्टिंग रही है, लूनिया का दबदबा रहा है। राजनांदगांव में भी मैडम की पदस्थापना के दौरान इसी तरह की शिकायतें मिली थी। अब बात बढ़ गई है। खेल मंत्रालय टंकराम वर्मा की जगह डिप्टी सीएम अरुण साव को दिया गया है। उन तक सारी शिकायतें पहुंची है। विधानसभा में भी मामला गूंज सकता है। डिप्टी सीएम अरुण साव क्या कार्रवाई करते हैं, इस पर नजरें टिकी हुई है।
नामी बिल्डरों का प्रोजेक्ट
रायपुर में देश के नामी बिल्डरों ने जमीन खरीदी है। गोदरेज समूह ने तो एक भाजपा नेता की जमीन खरीदकर कालोनी बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है।
दो और बिल्डर ने रायपुर व नवा रायपुर के बीच जमीन खरीदी है और मंहगी कालोनी बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। वैसे भी रायपुर में बड़े अस्पताल समूह बाम्बे हास्पिटल, मेदांता, कोकिलाबेन और मणीपाल अस्पताल समूह भी यहां अस्पताल बनाने जा रहे हैं। कुल मिलाकर रायपुर मेडिकल हब बनने की ओर अग्रसर है।
मानदेय के लिए भटक रहे पुजारी
भाजपा के घोषणापत्र में कई बड़े वायदे किये गये थे जिसके पूरा नहीं होने पर आंदोलन व प्रदर्शन करने वालों की संख्या बढ़ी है। आमतौर पर चुनावी वर्ष में ऐसे प्रदर्शन की संख्या अधिक होती है। पिछले दिनों भ पंडित व पुजारियों की बैठक हुई जिसमें पुजारियों को मानदेय देने की घोषणा पर दो साल में सिर्फ एक पंडित को मानदेय मिलने पर नाराजगी जताई गयी है। पंडित-पुजारियों को भाजपा के कोर वोटर माने जाते हैं।
प्रदेश में ऐसे लोगों की संख्या हजारों में है। अभी सिर्फ एक पंडित को मानदेय मिल रहा है जिसके जजमान की तलाश हो रही है।
आडियो को फर्जी बताने गुर सिखाया..
पिछले दिनों चांपा जांजगीर जिले के विधायक द्बारा अवैध रेत खनन के लिए पैसे की मांग करने का आडियो जारी होने पर कांग्रेस में खलबली मच गयी है।
राजधानी रायपुर के एक बड़े नेता ने फोन लगाकर मामले को समझने की कोशिश की। कांग्रेस विधायक ने कहा कि यह बात पुरानी है और आडियो भी पुराना है। कांग्रेस विधायक को नेताजी ने समझाया कि यह बात सार्वजनिक तरीके से मत बोलना पार्टी और इससे तुम्हारी छवि खराब होगी।
उन्होंने प्रेस कांफ्रेस लेकर आडियो फर्जी बताने के लिए कहा। इस घटना को लेकर महिला विधायक को पूरे आधे घंटा समझाया गया। महिला विधायक ने वैसा ही किया।
इस घटना के बाद जिले के प्रशासनिक अफसरों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं । कांग्रेस विधायक तो बच गईं। अफसरों पर गाज गिरने की चर्चा है।
उद्योगपति मस्त, कर्मचारी त्रस्त..
छत्तीसगढ़ में राजनीतिक और प्रशासनिक स्थिति अन्य राज्यों से बेहतर होने व पर्याप्त खनिज संसाधन को देखते देशभर के उद्योगपति आने को तैयार हैं। राजधानी रायपुर में इसी सप्ताह एक बड़े बिजनेस मीट करने की तैयारी है। उद्योगपतियों के काम एसएमएस,वाट्सअप, संदेश से कुछ घंटों के भीतर हो रहा है। बड़े अधिकारियों की सक्रियता के चलते जिला स्तर के अधिकारी दौड़ और गाली खाकर काम कर रहे हैं। कर्मचारी त्रस्त हैं और अधिकारी मस्त हैं । भ्रष्टाचार की खबरें ऊपर तक पहुंचने के कारण ईमानदारी से काम भी करना पड़ रहा है। लेन-देन की खबरें भी छनकर ऊपर पहुंच जा रही है। साहब के तगड़े नेटवर्क के कारण फाईल तेज दौड़ रही है लेकिन अधिकारी जल्दी थक रहें है।
पवन साय की दरियादिली
भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन ) पवन साय को सीधे सरल और मिलनसार माना जाता है। वो संघ के प्रचारक रहे हैं। रमन सरकार में एक मुंहफट मंत्री ने उनको लेकर अपशब्द कहे थे।बात उन तक पहुंचीं, लेकिन सायजी ने हंसकर टाल दिया।
पिछले दिनों कोतवाली थाने के पास उनकी गाड़ी में एक पुलिसकर्मी ने गमला फेंक दिया। गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई। साय पुलिस कर्मी के घर के पास गाड़ी पार्क करवा डेंटल क्लिनिक गए थे।
अब साय की गाड़ी के क्षतिग्रस्त होने पर पुलिस महकमा टूट पड़ा।कर्मी को निलंबित कर दिया गया। बड़ी कार्रवाई की तैयारी थी लेकिन पता चला कि पुलिस कर्मी एक भाजपा नेता का जीजा है।
इस पर पवन साय ने पुलिस अफसरों को संदेशा भिजवाया कि पुलिस कर्मी पर कोई सख्त कार्रवाई न की जाए। इसके बाद पुलिस कर्मी पर एफआईआर नहीं किया गया।
सक्रिय कार्यकर्ता के रिश्तेदार होने की जानकारी मिलते ही sp को फोन कर कठोर कार्रवाई नहीं करने कहा।
डस्टबीन में कद्दावर नेता की अर्जी
छत्तीसगढ़ के एक समय के कद्दावर आदिवासी भाजपा नेता ने बरसों पहले नमक का त्याग कर दिया, और जिस पार्टी का बरसों नमक खाया उसका भी चुनाव के ठीक पहले त्याग कर दिया। हालांकि बहुत जल्द उनका वहाँ से मोहभंग हो गया और वापसी के लिए अर्जी लगा दी, लेकिन दिल्ली वालों से हरी झंडी मिली नहीं। नेता जी ने नमक के बाद शक्कर का भी त्याग कर दिया है कि शायद अब कृपा हो जाए। लेकिन विश्व की सबसी बड़ी पार्टी कार्यालय के डस्टबीन में पड़ी उनकी अर्जी की कोई सुध नहीं लिया। सुने हैं नेता जी ने अब चाय का भी त्याग कर दिया है और चाय के घोर आलोचक बन गए हैं। उन्हें लगता है शायद इससे कुछ काम बन जाए। किसी ने उन्हें ज्ञान दिया कि नेता जी आप तो बढ़िया देश के सबसे बड़े सेठ के यहाँ की छाँछ पीजिये शायद कुछ कृपा हो जाए।
अगर नक्सली न भागे तो…?
केंद्रीय गृह मंत्री फिर छत्तीसगढ़ दौरे पर आने वाले हैं, जाहिर सी बात है, छत्तीसगढ़ का दौरा यानी बस्तर का दौरा। यूँ तो शाह जी बस्तर का मशहूर दशहरा में शिरकत करेंगे, लेकिन जब वे बस्तर में रहेंगे तो नक्सल अभियान पर समीक्षा बैठक भी करेंगे ही। अमित शाह जी की एक ख़ासियत है, वो किसी काम को सोचते है तो उसे पूरा करके ही दम लेते हैं, शाह जी मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त करने की घोषणा कर चुके हैं। उनके दौरे को लेकर पीएचक्यू में अधिकारियों में मंथन का दौर भी जारी है, वे सोच रहे हैं अगर मार्च 2026 तक नक्सली नहीं भागे तो उनको भागना ना पड़ जाए।