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SUPREME COUR HATE SPEECH : हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर सब कुछ जायज़ नहीं …

SUPREME COUR HATE SPEECH : Supreme Court’s strictness on hate speech, not everything is justified in the name of freedom of expression…

नई दिल्ली, 14 जुलाई 2025। SUPREME COUR HATE SPEECH सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे हेट स्पीच (नफरती भाषणों) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ के नाम पर सब कुछ जायज़ ठहराना खतरनाक ट्रेंड है, जिसे रोका जाना ज़रूरी है।

न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और ऑगस्टीन जॉर्ज फ्रांसिस विश्वनाथन की बेंच ने यह टिप्पणी सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ वजाहत खान की याचिका पर सुनवाई के दौरान दी।

कोर्ट की टिप्पणी –

SUPREME COUR HATE SPEECH “नफरती भाषणों पर कार्रवाई जरूरी है, लेकिन बोलने की आजादी को कुचला नहीं जाना चाहिए। नागरिकों को भी समझना होगा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बेशकीमती है।” कोर्ट ने ये भी कहा कि यह सही नहीं है कि हर बार राज्य कार्रवाई करे, बल्कि नागरिकों को खुद ऐसे कंटेंट को प्रमोट, शेयर या लाइक करने से बचना चाहिए।

“इंटरनेट पर डाली गई बातें स्थायी हो जाती हैं” जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि अब पोस्ट डिलीट करने का कोई फायदा नहीं है, क्योंकि इंटरनेट पर एक बार डाली गई सामग्री हमेशा के लिए रहती है।

उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी एक अहम मौलिक अधिकार है, लेकिन इसका दुरुपयोग अदालतों में अनावश्यक भीड़ और विवाद बढ़ा देता है।

वजाहत खान को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत –

SUPREME COUR HATE SPEECH वजाहत खान के वकील ने उनके पुराने ट्वीट्स के लिए माफी मांगी। वकील ने कहा, “मेरी शिकायत ही अब मेरे लिए मुश्किल बन गई है। मैंने माफी मांग ली है। अब बस कोर्ट देखे कि सभी FIR उन्हीं ट्वीट्स से जुड़ी हैं या नहीं।” कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, “हर बार नया FIR और गिरफ्तारी कोई समाधान नहीं है।”

क्या है मामला ?

SUPREME COUR HATE SPEECH वजाहत खान पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर धार्मिक नफरत और साम्प्रदायिक तनाव बढ़ाने वाली पोस्ट कीं। उनके खिलाफ कई राज्यों में FIR दर्ज की गई। वे फिलहाल एक मामले में पुलिस हिरासत, और दूसरे में न्यायिक हिरासत में हैं।

SUPREME COUR HATE SPEECH पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली, असम, हरियाणा, पश्चिम बंगाल की सरकारों को नोटिस भेजा था। याचिका में मांग की गई थी कि सभी FIR को एक साथ जोड़कर सुनवाई हो।

 

 

 

 

 

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