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CG BREAKING : छत्तीसगढ़ विधानसभा में भारतमाला परियोजना का मुआवजा घोटाला उजागर, राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर से करोड़ों की गड़बड़ी!

CG BREAKING : Bharatmala project compensation scam exposed in Chhattisgarh assembly, fraud worth crores due to manipulation of revenue records!

रायपुर, 14 जुलाई 2025। छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सोमवार को भारतमाला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण में मुआवजा वितरण को लेकर बड़े घोटाले का खुलासा हुआ। विधायक ओंकार साहू के सवाल पर जवाब देते हुए राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने स्वीकार किया कि कई जिलों में पारदर्शिता का पालन नहीं हुआ और राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर कर करोड़ों की गड़बड़ी की गई है।

किन जिलों में हुआ गड़बड़ी का खेल?

राजस्व मंत्री के मुताबिक, रायपुर, धमतरी, कांकेर, कोण्डागांव, कोरबा, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, जशपुर, दुर्ग, राजनांदगांव और बिलासपुर जिलों में भूमि अधिग्रहण हुआ। लेकिन राजस्व अभिलेखों (खसरा, B-1 आदि) में कूटचाल कर मुआवजा गलत लोगों को बांटा गया।

हैरानी की बात यह है कि राज्य सरकार ने न कोई ऑडिट कराया और न ही तृतीय पक्ष से सत्यापन। यह सीधे तौर पर प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।

जिन पर गिरी गाज – अधिकारी निलंबित

राजस्व मंत्री ने बताया कि घोटाले में प्रथम दृष्टया दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई शुरू हो चुकी है।

इन पर हुई कार्रवाई –

निर्भय कुमार साहू (रा.प्र.से.) – 3 मार्च 2025 को निलंबित

शशिकांत कुर्रे (रा.प्र.से.) – 5 मार्च 2025 को निलंबित

नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण, पटवारी जितेंद्र साहू, दिनेश पटेल और लेखराम देवांगन – सभी निलंबित

हालांकि, कुछ पटवारियों को हाईकोर्ट के आदेश पर कार्य पर वापस बुला लिया गया है।

अभी तक नहीं हुई वित्तीय वसूली

मंत्री वर्मा ने कहा कि जांच अभी प्रक्रियाधीन है और फिलहाल किसी से भी आर्थिक वसूली नहीं की गई है।

अब EOW के हाथों में जांच

इस पूरे मामले को सरकार ने गंभीर आर्थिक अपराध मानते हुए आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) को सौंप दिया है। 8 अप्रैल 2025 के आदेश अनुसार:

धारा 7(सी), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988

IPC की धाराएं 420, 467, 468, 471, 120B

के तहत FIR नंबर 30/2025 दर्ज कर जांच जारी है।

यह केवल मुआवजा घोटाला नहीं, बल्कि सिस्टम फेलियर है!

बिना ऑडिट, बिना तृतीय पक्ष सत्यापन के करोड़ों रुपये का बंटवारा – ये मामला केवल आर्थिक घोटाला नहीं, बल्कि प्रशासनिक निगरानी की विफलता भी है।

अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या EOW इस भ्रष्टाचार के पूरे जाल को उजागर कर पाएगी और क्या वाकई दोषियों को सज़ा मिलेगी?

 

 

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