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Chhoti Diwali 2024: जानिए क्यों मनाई जाती है छोटी दिवाली, जानें इसका महत्व और शुभ मुहूर्त

Chhoti Diwali 2024: हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को छोटी दिवाली यानी कि नरक चतुर्दशी (Narak chaturdshi) का पावन पर्व मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छोटी दिवाली के दिन हनुमान जी का जन्म उत्सव भी मनाया जाता है, इसलिए इस दिन हनुमान जी (Hanuman ji) की पूजा करने का विशेष महत्व होता है. इस दिन यम के नाम का दीपदान भी किया जाता है।

छोटी दिवाली 2024 पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 30 अक्टूबर 2024 की दोपहर 1 बजकर 4 मिनट से होगा और इसका समापन अगले दिन 31 अक्टूबर की दोपहर 3 बजकर 11 मिनट पर होगा. छोटी दिवाली पर पूजा का शुभ मुहूर्त 30 अक्टूबर की शाम 4 बजकर 36 मिनट से लेकर शाम के 6 बजकर 15 मिनट तक रहेगा.

 

यह पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भौमासुर नाम का एक राक्षस जिसे नरकासुर भी कहा जाता है, उसके अत्याचारों से तीनों लोकों में हाहाकार मचा हुआ था। उसने अपनी शक्तियों के कारण कई देवताओं पर भी विजय पा ली थी। क्योंकि उसकी मृत्यु केवल किसी स्त्री के हाथ ही हो सकती थी इसलिए उसने हजारों कन्याओं का हरण कर लिया था।

इस पर इंद्रदेव भगवान कृष्ण के पास संसार की रक्षा की प्रार्थना लेकर पहुंचते हैं। इंद्र देव की प्रार्थना स्वीकार करते हुए, भगवान श्री कृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ गरुड़ पर आसीन होकर नरकासुर राक्षस का संहार करने पहुचे। भगवान श्री कृष्ण ने सत्यभामा को अपना सारथी बनाया और उनकी सहायता से नरकासुर का वध कर डाला।

मुक्त कराईं 16100 कन्याएं

नरकासुर का वध करने के बाद भगवान श्री कृष्ण और सत्यभामा ने उसके द्वारा हरण की गई 16100 कन्याओं को मुक्त कराया। जब यह कन्याएं अपने घर वापस लौटी तो उन्हें समाज और उनके परिवार ने अपनाने से इनकार कर दिया। उन सभी कन्याओं को आश्रय देने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने उन सभी को अपनी पत्नियों के रूप में स्वीकार किया।

इसलिए कहा जाता है नरक चतुर्दशी

भौमासुर को नरकासुर के नाम से भी जाना जाता था। चतुर्दशी तिथि पर ही भगवान श्री कृष्ण उसका वध किया था। इसलिए इस तिथि को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। इसी दिन को छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है।

पांच दिवसीय दीपावली पर्व की तिथि

दीपावली पर्व की शुरुआत 29 अक्टूबर को धनतेरस के साथ हुई, उसके बाद 30 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी, 31 अक्टूबर को दीपावली का पावन पर्व, 2 अक्टूबर को अन्नकूट और 3 नवंबर को भाई दूज और चित्रगुप्त पूजा की जाएगी.

 

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