POLITICS : कांग्रेस में विलय के बाद पप्पू यादव के हाथ से फिसली पूर्णिया की सीट, बोले – दुनिया छोड़ दूंगा, पूर्णिया नहीं छोड़ूंगा
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POLITICS: After merger with Congress, Purnia seat slipped from Pappu Yadav’s hands, said – I will leave the world, I will not leave Purnia.
लोकसभा चुनाव से पहले पप्पू यादव की मुश्किलें बढ़ गई है. कांग्रेस में विलय के बाद भी पूर्णिया की सीट उनके हाथ से निकल गई. आरजेडी ने यहां बीमा भारती के रूप में अपना उम्मीदवार उतार दिया है. इस पर एक सवाल के जवाब में पप्पू यादव ने कहा कि ‘दुनिया छोड़ दूंगा, पूर्णिया नहीं छोड़ूंगा’
पप्पू यादव ने कहा कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का विश्वास ‘मेरे साथ है.’ फैसला उनका करना है. पप्पू यादव ने कहा, ‘लालू यादव मेरे लिए सम्मानित नेता हैं. पिछले एक साल से मैं पूर्णिया में ‘प्रणाम पूर्णिया आशीर्वाद यात्रा’ के तहत घूम रहा हूं.’ उन्होंने कहा, “पूर्णिया की जनता मुझे भाई-बेटा मान चुकी है. अपना आशीर्वाद देने का मन बना चुकी है.”
‘अंदाजा नहीं था’, बोले पप्पू यादव
पप्पू यादव ने अपने जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर लिया था. इसके साथ ही उन्होंने पूर्णिया सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा जाहिर की थी. पप्पू यादव ने कहा कि वह कांग्रेस के सच्चे सिपाही हैं. उन्होंने बिहार को मां बताया और कहा कि वह लगातार पूर्णिया में घूम रहे हैं. पप्पू यादव ने बीमा भारती को पूर्णिया से उम्मीदवार बनाए जाने के सवाल पर कहा कि उन्हें इस बात का अंदाजा भी नहीं था. उन्होंने कहा कि लालू यादव यह बात समझें कि वह उनके तीसरे बेटे की तरह हैं.
लालू यादव ने बीमा भारती को बनाया उम्मीदवार
आरजेडी चीफ लालू यादव ने पूर्णिया सीट से जेडीयू छोड़कर आईं बीमा भारती को लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है. लालू ने उन्हें पार्टी का सिंबल सौंपा है. इसके बाद बीमा भारती ने पूर्णिया में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपनी उम्मीदवारी का ऐलान किया था. उन्होंने कहा था कि उन्हें लालू यादव और राबड़ी देवी का आशीर्वाद मिला है और वह पूर्णिया से आरजेडी की टिकट पर चुनाव लड़ेंगी.
लालू यादव और पप्पू यादव की मुलाकात
कांग्रेस में शामिल होने से ठीक एक दिन पहले, पप्पू यादव ने पटना में लालू से मुलाकात की थी. हालांकि, लालू यादव पूर्णिया सीट उन्हें देने पर राजी नहीं हुए थे. पप्पू यादव ने दावा किया था कि लालू ने उन्हें मधेपुरा सीट की पेशकश की थी लेकिन उन्होंने उस पेशकश को ठुकरा दिया. भले ही वह कांग्रेस नेतृत्व पर सौदेबाजी की उम्मीद लगाए बैठे हैं लेकिन उनके लिए आगे की राह मुश्किल लगती है.