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तिरछी नजर 👀 : राजपूत….. ✒️✒️

राजपूत महज जाति ही नहीं है। हरेक वर्ग में राजपूत विद्यमान है। यानी कई लोग जिसका राज उसके पूत हो जाते हैं। नौकरशाहों में ऐसे कई राजपूत हैं और सरकार किसी की भी हो, पावरफुल रहते हैं।ऐसे ही शिक्षक से सत्कार व्यवस्था का मुखिया बन चुके एक अफसर ने कुछ दिनों के भीतर सरकार में अपनी पैठ बनाई,तो जानकर लोग दांतों तले उंगलियां दबाने को मजबूर हो गए।अफसर की रमन सरकार में तूती बोलती थी। फिर वो आबकारी का काम भी देखने लगे। भूपेश सरकार के सत्ता में आते ही वहां भी जगह बना ली। अफसर की कांग्रेस के शीर्ष नेता के घर तक पहुंच होने की जानकारी होते ही सरकार ने दिल्ली में तैनाती कर दी। भूपेश राज में अफसर ने खूब इंजॉय किया। अब सरकार बदली, तो पुराने रिश्तों की दुहाई देकर साय सरकार में भी पैठ बना ली है। अफसर रिटायर होने वाले हैं और उन्हें अगले दो महीने बाद संविदा नियुक्ति भी मिल सकती है। ऐसे अफसर को लोग राजपूत करार दे रहे हैं।

डिप्टी सीएम के खिलाफ याचिका

डिप्टी सीएम के शपथ के मसले को पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर जोर शोर से उठा चुके हैं। वो इसको संवैधानिक रूप से गलत ठहराते हुए कहा कि संविधान में इसका कोई प्रावधान नहीं है।
अब उनके करीबी एक वकील ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी की है। अब संभवतः दो जनवरी को कोर्ट में याचिका पेश कर दी जाएगी। अकबर इस मसले पर सरकार को घेरने की कोशिश में लगे हैं। सरकार इसका सामना कैसे करती है,यह देखना है।

मंत्रीजी को संघ का संदेश

एक नये नवेले मंत्रीजी अपने बयान के कारण मुश्किल में पड़ गये। इसके चलते उन्हें आरएसएस को सफ़ाई देनी पड़ गई। असल में मंत्रीजी ने मीडिया से बात करते हुए कह दिया कि छत्तीसगढ़ में सरकार बन गई है और यह सरकार नरेंद्र मोदी की सरकार है। बस इसी बात से संघ के प्रमुख नेताओं की भृकुटी तन गई। बात जागृति मंडल से होते हुए ऊपर पहुंच गई। उसके बाद मंत्रीजी को संकेत और संदेश दोनों पहुंचा दिया गया कि सरकार कार्यकर्ताओं के सहयोग से भाजपा संगठन की बनी है। कृपया भविष्य में मीडिया से बात करें तो इस बात पर विचार जरूर करें।
यह संदेश जैसे ही मंत्री के पास पहुंचा उन्होंने अपनी सफ़ाई पेश करने में देरी नहीं की। उन्होंने संघ के प्रमुख नेताओं तक न सिर्फ़ अपना मंतव्य रखा बल्कि क्षमा मांगने का प्रयास भी किया। संघ व पार्टी हलकों में इस घटना की ज़बरदस्त चर्चा है।

केंद्र शासित छत्तीसगढ़

क्या छत्तीसगढ़ केंद्र शासित प्रदेश हो गया है? चुनाव नतीजे आने के बाद मुख्यमंत्री, मंत्रिमंडल और उनके विभाग तय करने में जो लेटलतीफ़ी हुई, उससे जाहिर हो गया कि छत्तीसगढ़ के सारे फ़ैसले दिल्ली में होंगे। यह बाद ख़ुद सत्तारूढ़ दल के नेता दबी ज़ुबान में स्वीकार करते हैं। इन्हीं नेताओं की मानें तो दिल्ली की एक टीम ने यहाँ डेरा जमा लिया है, जिसकी सत्ता के गलियारों में ख़ासी धाक रहेगी। आने वाले दिनों में टीम का विस्तार हो सकता है। यानी दिल्ली से कुछ और लोग भेजे जा सकते हैं। इन हालातों ने स्थानीय कार्यकर्ताओं को चिंता में डाल दिया है। वे अपने भविष्य को लेकर अंदेशे में डूब रहे हैं। चुनाव में पार्टी का नारा था- हमने बनाया है, हम ही संवारेंगे। लेकिन सँवरने और संवारने का काम जब दिल्लीवाले करेंगे तो कांग्रेस एकबार फिर छत्तीसगढ़ियावाद को मुद्दा बना सकती है।

साव नंबर दो पर

मंत्रियों के विभाग वितरण के बाद यह चर्चा है कि साय मंत्री मंडल में नंबर 2 कौन है यह सवाल युवा तुर्क विजय शर्मा को गृहमंत्री बनाये जाने के बाद उठ रहे हैं। राज्य सरकार के प्रोटोकाल के अनुसार गृह विभाग को नंबर 2 माना जाता है। संवेदनशील नक्सली इलाके में गृहमंत्री वरिष्ठताक्रम के अनुसार दूसरे नंबर के नेता को दिये जाते हैं। पहली बार के विधायक को सीधे गृहमंत्री बनाने से राजनीतिक पंडित भी सकते में है। इसके कई अर्थ निकाले जा रहे है। सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रियों के विभाग और क्रम को लेकर संवेदनशील रहती है। पार्टी संगठन से मिले क्रम के अनुसार ही सामान्य प्रशासन विभाग व राज भवन सूची जारी करती है। भाजपा संगठन ने सरकार को सूची सौंपी है उसमें दूसरे नंबर पर उप मुख्यमंत्री अरूण साव का है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहते उप मुख्यमंत्री की शपथ ली है इसलिए पार्टी संगठन ने दूसरे क्रम पर रखा है। साव को कई महत्वपूर्ण विभाग देकर कद भी बढ़ाया गया है।

हार की समीक्षा

रायपुर शहर की चारों विधानसभा सीट में बुरी हार के बाद कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप जुनेजा, विकास उपाध्याय, दक्षिण विधानसभा के चुनाव संचालक प्रमोद दुबे सहित संगठन के कुछ लोग रायपुर ग्रामीण के पूर्व विधायक सत्यनारायण शर्मा से सौजन्य मुलाकात करने निवास पहुंचे। सत्यनारायण के निवास में हार के असली वजह की समीक्षा होने लगी। एक नेता ने हार के लिये ईव्हीएम मशीन पर संदेह जताते हुए मतपत्र से चुनाव कराने की बात छेड़ी। इससे सत्तू भैया नाराज हो गये। रबड़ी और चाय- नाश्ते के बीच चलते चुनावी समीक्षा के दौरान सत्तू भैया ने कांग्रेसी नेताओं को समझाया कि शहर में हिंदू, मुस्लिम चल गया। समाज के सभी वर्ग ने भाजपा को वोट दे दिया। उसके बावजूद भी कारणों की समझ नहीं रखना और बड़ी कमजोरी है। नेताओं ने बताया कि वर्तमान सरकार ने दुर्भावना से काम करते हुए महापौर का दूसरे दिन ही सुरक्षा हटा दिया और 8 जगह तोडफ़ोड़ भी कर दिये। गहरी राजनीतिक समझ रखने वाले सत्तू भैया ने कांग्रेसी नेताओं को तल्ख नाराजगी जाहिर कर रवाना किया।
आबकारी पर नियंत्रण

मंत्रियों के विभाग वितरण के बाद मुख्यमंत्री के पास पहली बार आबकारी विभाग है। छत्तीसगढ़ के इतिहास में आबकारी विभाग मुख्यमंत्री के पास होने के कई अर्थ निकाले जा रहे है। प्रदेश में शराबबंदी की मांग और आबकारी नीति पर सबकी निगाह रहेगी। आबकारी घोटाले की जांच ईडी कई राज्यों में कर रही है, कई लोग जेल में हैं, तो कई बेल में है। आबकारी निगम में नई नियुक्ति की भी चर्चा रहेगी। आबकारी के राजस्व संग्रहण को लेकर परदे के पीछे की लड़ाई बढ़ सकती है।

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