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सर्वपितृ अमावस्या : पितरों की शांति के लिए और पितृ दोष से मुक्ति के लिए करें ये उपाय

पितृ पक्ष के अंतिम दिन को सर्वपितृ अमावस्या के रूप में जाना जाता है। इस दिन सभी श्राद्ध कर्म करने के पश्चात पितरों को सम्मानपूर्वक विदा किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण, पिंडदान इत्यादि करने से पितर प्रसन्न होते हैं और सभी दुःख दूर कर देते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या 25 अक्टूबर के दिन पड़ रहा है। इस दिन पंचबलि अर्थात कौए, गाय, कुत्ते, चीटियों व देवताओं को भोजन का एक-एक अंश निकालकर दिया जाता है। ऐसा करने से पितर तृप्त हो जाते हैं और श्राद्धकर्ता के जीवन में खुशियां बनी रहती हैं। इस दिन ब्राह्मण भोजन करने से और कई उपायों को अपनाने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं।

सर्वपितृ अमावस्या 2022 शुभ मुहूर्त
सर्वपितृ अमावस्या तिथि: 25 सितंबर रविवार
सर्वपितृ अमावस्या आरम्भ: 25 सितंबर रविवार, सुबह 03:11 से
अमावस्या तिथि समाप्त: 26 सितंबर सोमवार, सुबह 03:22 पर

सर्वपितृ अमावस्या पर करें ये उपाय
आप यदि पितृ पक्ष में किसी कारण से तर्पण या श्राद्ध कर्म नहीं पाएं हैं तो इस दिन जल के पात्र में तिल डालकर पितरों का स्मरण करते हुए तर्पण आदि करें। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष का खतरा भी दूर हो जाता है।

शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के दिन दान का बहुत महत्व है। इसलिए इस दिन मंदिर में चावल, नमक, आटा, गुड़ उड़द दाल और घी का दान करें। ऐसा करने से जीवन में शांति बनी रहती है और पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है।

इस दिन ब्राह्मण भोजन का भी महत्व सबसे अधिक है। ऐसा करने पितर प्रसन्न होते हैं। इसलिए सर्वपितृ अमावस्या के दिन ब्राह्मण भोजन करें और सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा देकर विदा करें।

पितरों को प्रसन्न करने के लिए और घर में हर तरफ शांति के लिए गाय को घी और गुड़ से बनी रोटी अवश्य खिलाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से कई प्रकार के दोष से मुक्ति मिलती है।

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