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BIG BREAKING : तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत, 3 बैंच के जजों ने दी अंतरिम जमानत

Teesta Setalvad gets big relief from Supreme Court, 3 bench judges granted interim bail

नई दिल्ली। समाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने सिर्फ जमानत पर गौर किया है. मामले की योग्यता पर हमारी किसी भी टिप्पणी का प्रभाव नहीं है.

बता दें कि तीस्ता सीतलवाड़ ने निचली अदालत और हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने गुजरात राज्य और तीस्ता के वकीलों की दलीलों को सुना और यह जाना कि तीस्ता दो माह से ज्यादा समय से जेल में हैं और हाईकोर्ट में याचिका लंबित है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार ने हमें बताया कि हाईकोर्ट को ही मामला सुनने दिया जाए. जहां पर राज्य सरकार को छह सप्ताह का समय जवाब के लिए दिया गया.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम मामले कि योग्यता पर नहीं जाते और मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए जमानत देते हैं, क्योंकि महिला दो माह से जेल में है. दूसरा यह कि सात दिन जांच एजेंसी ने इंटरोगेशन किया है, जो पूरा हुआ, ऐसे में याचिकाकर्ता को राहत मिलनी चाहिए.

सीजेआई ने पूछा कि क्या गवाहों को तीस्ता सीतलवाड़ ने कभी परेशान किया या उनकी ओर से कोई दबाव बनाया गया था. इस पर एसजी मेहता ने कहा कि ऐसी कोई शिकायत नहीं आई. सीजेआई ने सिब्बल से भी पूछा कि आपको इस पर कुछ कहना है. कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या उस महिला से पूछताछ में कुछ मिला. कितने दिन पूछताछ की गई. इस पर एसजी ने बताया कि 7 दिन तक पूछताछ की गई.

तीस्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह आरोप राजनीति से प्रेरित है. 2002 में हुई घटना पर आज 2022 में आरोप लगाए जा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या आप पर साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने का कोई आरोप है. इस पर सिब्बल ने कहा, बिल्कुल नहीं.

बेंच ने बिल्कुल सही चिंता जताईः SG मेहता –

तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एसजी तुषार मेहता ने कहा, “कल बेंच ने बिल्कुल सही चिंता जताई थी, लेकिन इसका निहितार्थ यह निकाला जा रहा है कि हाई कोर्ट ने जानबूझकर छह हफ्ते में नोटिस का जवाब मांगा. मैं यही स्पष्ट करूंगा कि ऐसा नहीं है.” एसजी ने कहा कि इस मामले से एक हफ्ते पहले 124 केस थे और इस आदेश की तारीख को 168 केस थे.

उन्होंने कहा कि गुजरात हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने ऑटो सूची पद्धति शुरू की है, जहां जमानत आवेदनों में कुछ दस्तावेज आदि दायर किए जाते हैं और जेल में बंद व्यक्ति को पता नहीं होता है. इसलिए ऑटो सूची मदद करती है.

2 दिन में 28 केस में जमानत की तारीख दीः सिब्बल –

सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि ऐसे 28 मामले हैं जिनमें एक ही जज ने दो दिन में जमानत देने जैसी तारीखें दी हैं.

SG मेहता ने आपत्ति जताते हुए कहा इस महिला ने पूरे राज्य, राज्य की न्यायपालिका, हाईकोर्ट को बदनाम किया है. आप गुजरात हाईकोर्ट के जज के बारे में ऐसा कुछ नहीं कह सकते.

गुजरात हाई कोर्ट के फैसले पर SC हैरान –

इससे पहले तीस्ता सीतलवाड की जमानत याचिका संबंधी मामले पर कल गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले पर हैरानी जताई. देश की शीर्ष अदालत ने कहा कि गुजरात हाई कोर्ट ने जमानत याचिका पर जवाब के लिए राज्य सरकार को नोटिस भेजने के क्यों छह हफ्ते बाद 19 सितंबर को इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. कोर्ट ने राज्य सरकार से उसे आज शुक्रवार दोपहर दो बजे तक यह बताने को कहा है कि क्या इस तरह की परिपाटी है.

प्रधान न्यायाधीश जस्टिस उदय उमेश ललित की अगुवाई में जस्टिस एस रवींद्र भट्ट तथा जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने सीतलवाड़ की याचिका पर आगे की सुनवाई शुक्रवार को करना तय किया. तीस्ता सीतलवाड़ को 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में कथित रूप से बेगुनाह लोगों को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने के मामले में गिरफ्तार किया गया था.

चीफ जस्टिस ललित ने कहा, “हम इस मामले में कल (शुक्रवार) दोपहर 2 बजे सुनवाई करेंगे. हमें ऐसी कोई मिसाल दें जिसमें ऐसे मामलों में किसी महिला आरोपी को हाई कोर्ट से इस तरह तारीख मिली हो. या तो ये महिला अपवाद हैं. यह अदालत यह तारीख कैसे दे सकती है? क्या यह गुजरात में मानक व्यवस्था है? गुजरात हाई कोर्ट ने सीतलवाड़ की जमानत अर्जी पर 3 अगस्त को राज्य सरकार को नोटिस भेजा और मामले में सुनवाई की तारीख 19 सितंबर तय कर दी थी.

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