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PM मोदी आज नेवी को सौपेंगे स्वदेशी आईएनएस विक्रांत, यह है देश का सबसे बड़ा

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केरल दौरे का शुक्रवार यानी आज आखिरी दिन है। आज पीएम कोच्चि से भारत में ही बने विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) को नौसेना (Indian Navy) में शामिल करेंगे। इस एयरक्राफ्ट कैरियर को मेक इन इंडिया के तहत बनाया गया है। यह अब तक का भारत का सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर शिप है। भारत से पहले सिर्फ पांच देशों ने 40 हजार टन से ज्यादा वजन वाला एयरक्राफ्ट कैरियर (Aircraft Carrier) बनाया है। आईएनएस विक्रांत का वजन 45 हजार टन है।

भारतीय नौसेना के लिए आज का दिन अहम
भारतीय नौसेना के लिए शुक्रवार का दिन अहम है। उसे अपना पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) मिलेगा और अंग्रेजों के जमाने के निशान से आजादी भी मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को INS विक्रांत सौपेंगे देंगे। केरल के कोचीन शिपयार्ड पर तैयार किए गए इस विमान वाहक पोत के निर्माण में 20,000 करोड़ रुपये की लागत आई है। इस पोत के आधिकारिक तौर पर शामिल होने से नौसेना की ताकत दोगुनी हो जाएगी।

मिलेगी अंग्रेजों के जमाने के निशान से आजादी
वहीं, मोदी कार्यक्रम के दौरान नेवी के एक नए निशान (इनसाइन) का भी अनावरण करेंगे। यह समृद्ध भारतीय समुद्री धरोहर का प्रतीक होगा। नौसेना के नए डिजाइन में एक सफेद ध्वज है, जिस पर क्षैतिज और लंबवत रूप में लाल रंग की दो पट्टियां हैं। साथ ही, भारत का राष्ट्रीय चिह्न (अशोक स्तंभ) दोनों पट्टियों के मिलन बिंदु पर अंकित है।

भारतीय नौसेना ब्रिटिश काल में ही अस्तित्व में आ गई थी। भारतीय नौसेना के वर्तमान ध्वज के ऊपरी बाएं कोने में तिरंगे के साथ सेंट जॉर्ज क्रॉस है। 2 अक्टूबर 1934 को नेवी सेवा का नाम बदलकर रॉयल इंडियन नेवी किया गया था। 26 जनवरी 1950 को भारत के गणतंत्र बनने के साथ रॉयल को हटा दिया गया और इसे भारतीय नौसेना का नाम दिया गया। हालांकि, ब्रिटेन के औपनिवेशिक झंडे को नहीं हटाया गया। अब पीएम मोदी भारतीय नौसेना को नया ध्वज देंगे।

बनने में 13 साल लगे
फरवरी 2009 में निर्माण की हुई थी शुरुआत। पहली बार विक्रांत को अगस्त 2013 में पानी में उतारा गया। इस एयरक्राफ्ट कैरियर का बेसिन ट्रायल नवंबर 2020 में शुरू हुआ। इसके बाद जुलाई 2022 में इसका समुद्री ट्रायल पूरा हुआ। ट्रायल पूरा होने के बाद जुलाई 2022 में कोचीन शिपयार्ड ने इसे नौसेना को सौंप दिया। इसे बनाने में 20 हजार करोड़ की लागत आई। इस शिप के अलग-अलग पार्ट्स 18 राज्यों में बने हैं। इस एयरक्राफ्ट कैरियर में 76 फीसदी स्वदेशी सामान का उपयोग किया गया है। ये जहाज एक टाउनशिप जितनी बिजली आपूर्ति कर सकता है।

विशेष ग्रेड स्टील का इस्तेमाल
इसे बनाने में 21 हजार टन से ज्यादा विशेष ग्रेड स्टील का इस्तेमाल किया गया है। इसमें 2,600 किलोमीटर से ज्यादा इलेक्ट्रिक केबल का भी इस्तेमाल किया गया है। इसके साथ ही 150 किलोमीटर से ज्यादा पाइपलाइन भी उपयोग में लाई गई है। इसकी ऊंचाई 61.6 मीटर यानी 15 मंजिला इमारत जितनी है। वहीं लंबाई की बात करें तो ये 262.5 मीटर लंबी है। इसमें 1600 क्रू मेंबर आराम से रह सकते हैं। इस जहाज में 2300 कंपार्टमेंट बनाए गए हैं। इस जहाज पर मिग-29 के लड़ाकू विमानों और केए-31 हेलिकॉप्टरों का एक बेड़ा तैनात किया जाएगा। इस शिप से एक साथ 30 विमान संचालित हो सकते हैं। इसकी अधिकतम गति 28 नॉट है।

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