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RUPEE-DOLLAR UPDATE : ऐतिहासिक गिरावट, जानिए कमजोर रुपए और मजबूत डॉलर के फायदे और नुकसान

Historical fall, know the advantages and disadvantages of weak rupee and strong dollar

नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट देखी जा रही है. गुरुवार को तो रुपया एक डॉलर के मुकाबले 77.81 के लेवल तक जा लुढ़का है जो कि रुपया का ऐतिहासिक निचला स्तर है. कई जानकारों के मुताबिक आने वाले दिनों में एक डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 80 रुपये प्रति डॉलर तक गिर सकता है. दरअसल अमेरिका में बढ़ती महंगाई के मद्देनजर फेडरल रिजर्व बैंक ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला लेता है तो भारत जैसे इमर्जिंग मार्केट से निवेशक पैसा निकाल सकते हैं जिससे रुपया और कमजोर हो सकता है.  रुपया इस समय वैश्विक कारणों से साथ घरेलू कारणों से भी गिर रहा है. शेयर बाजारों में गिरावट तो इसके पीछे है ही, ब्याज दरों में बढ़ोतरी के ग्लोबल रुझान के बीच विदेशी फंडों की ओर से बिकवाली जारी रहने से भी रुपये पर दबाव आया है. कच्चा तेल महंगा होने और अन्य करेंसी के मुकाबले डॉलर के मजबूत होने से रुपया कमजोरी के दायरे में दिखाई दे रहा है.

महंगे डॉलर का क्या होगा असर  –

1. कच्चा तेल का आयात होगा महंगा- 

भारत दूनिया का दूसरा सबसे ज्यादा ईंधन खपत करने वाला देश है. जो 80 फीसदी आयात के जरिए पूरा किया जाता है. सरकारी तेल कंपनियां डॉलर में भुगतान कर कच्चा तेल खरीदती हैं. अगर रुपये के मुकाबले डॉलर महंगा हुआ और रुपया में गिरावट आई तो सरकारी तेल कंपनियों को कच्चा तेल खरीदने के लिए ज्यादा डॉलर का भुगतान करना होगा. इससे आयात महंगा होगा और आम उपभोक्ताओं को पेट्रोल डीजल के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी.

2. विदेशों में पढ़ाई महंगी- 

भारत से लाखों बच्चे विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं जिनके अभिभावक फीस से लेकर रहने का खर्च अदा कर रहे हैं. उनकी विदेश में पढ़ाई महंगी हो जाएगी. क्योंकि अभिभावकों को  ज्यादा रुपये देकर डॉलर खरीदना होगा जिससे वे फीस चुका सकें. जिससे महंगाई का उन्हें झटका लगेगा. जून महीने के बाद से लेकर अगस्त के दौरान विदेशों में दाखिला शुरू होने के चलते वैसे भी डॉलर की मांग बढ़ जाती है. महंगे डॉलर का खामियाजा अभिभावकों को उठाना होगा.

3. खाने का तेल होगा और महंगा- 

खाने का तेल पहले से ही महंगा है जो आयात तो पूरा किया जा रहा है. डॉलर के महंगे होने पर खाने का तेल आयात करना और भी महंगा होगा. खाने के तेल आयत करने के लिए ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च करना पड़ेगा. जिससे आम लोगों को पाम आयल से लेकर दूसरे खाने के तेल के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी.

4. मोबाइल – लैपटॉप होंगे महंगे-  

कंज्यूमर ड्यूरेबल्स कंपनियां अपनी कई पार्ट्स विदेशों से इंपोर्ट करती है. मोबाइल और लैपटॉप बनाने वाली कंपनियां भी कई चीजें विदेशी से आयात करती हैं. डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी से आयात महंगा होगा तो मोबाइल, लैपटॉप लेकर दूसरे कई कंज्यूमर ड्यूरेबल्स आईटम्स महंगे हो जायेंगे.

5. रोजगार पर आफत-  

रुपये में आ रही कमजोरी का असर रोजगार पर पड़ने लगा है. खास तौर से जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर में जो रूस और यूक्रेन के युद्ध के चलते पहले से ही संकट में था अब रुपये में कमजोरी ने इस सेक्टर की मुश्किलें और बढ़ा दी है. सूरत को देश का डायमंड हब माना जाता है.  इन कंपनियों के मुताबिक रूस की डायमंड कंपनी अलरोसा से ये कच्चा हीरा आयात करते हैं और फिर इसे तराश कर उसका निर्यात करते हैं. अमेरिका ने अलरोसा पर प्रतिबंध लगा दिया है. जबकि हीरा आयात में 30 फीसदी हिस्सेदारी अलरोसा की है. ऐसे में जेम्स एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री में काम करने वालों पर रोजगार का संकट गहरा गया है.

आइए डालते हैं नजर, मजबूत डॉलर का किस प्रकार अर्थव्यवस्था को पहुंचता है फायदा

1. Remittance पर ज्यादा रिटर्न – 

यूरोप या खाड़ी के देशों में बड़ी संख्या में भारतीय काम करते हैं. अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं जो डॉलर में कमाते हैं और अपनी कमाई देश में भेजते हैं. दुनिया में सबसे ज्यादा Remittance पाने वाला देश भारत है. साल 2021 में भारत में Remittance के जरिए 87 अरब डॉलर प्राप्त हुआ था. जो 2022 में बढ़कर 90 बिलियन होने का अनुमान है. 20 फीसदी से ज्यादा Remittance भारत में अमेरिका से आता है. ये Remittance जब भारतीय अपने देश डॉलर के रुप में भेजते हैं तो विदेशी मुद्रा भंडार इससे तो बढ़ता ही है साथ ही इन पैसे से सरकार को अपने कल्याणकारी योजनाओं को चलाने के लिए धन प्राप्त होता है. और जो लोग Remittance भेजते हैं उन्हें अपने देश में डॉलर को अपने देश की करेंसी में एक्सचेंज करने पर ज्यादा रिटर्न मिलता है.

2. आईटी इंडस्ट्री – 

डॉलर में मजबूती का बड़ा फायदा देश के आईटी सर्विसेज इंडस्ट्री को होता है. भारत की दिग्गज आईटी कंपनियां टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो, टेक महिंद्रा, एचसीएल जैसेी कंपनियां की सबसे ज्यादा कमाई विदेशों में आईटी सर्विसेज देने से प्राप्त होती है. इन कंपनियों को डॉलर में भुगतान किया जाता है. जब ये देसी आईटी कंपनी डॉलर में कमाई अपने देश लेकर आते हैं तो रुपये में कमजोरी और डॉलर में मजबूती से उन्हें जबरदस्त फायदा मिलता है.  तो डॉलर की मजबूती से इन कंपनियों की विदेशों में सर्विसेज देने से आय भी बढ़ जाती है.

3. निर्यातकों को फायदा – 

डॉलर में मजबूती का बड़ा फायदा एक्सपोटर्स को होता है. निर्यातक जब कोई प्रोडक्ट दूसरे देशों में बेचते हैं तो उन्हें भुगतान डॉलर के रुप में किया जाता है. डॉलर की मजबूती का मतलब है कि उन्हें अपने प्रोडक्ट के लिए ज्यादा कीमतें मिलेंगी. और वे डॉलर को देश के एक्सचेंज मार्केट में बेंचेंगे तो रुपये में कमजोरी के चलते उन्हें एक डॉलर के मुकाबले ज्यादा रुपये प्राप्त होंगे.

4. ज्यादा आयेंगे विदेशी सैलानी- 

महंगे डॉलर के चलते विदेशों में घूमना भले ही महंगा हो जाये. लेकिन जो विदेशी सौलानी भारत आना चाहते हैं उनके लिए राहत है. उन्हें रुपये में कमजोरी के चलते ज्यादा सर्विसेज प्राप्त होगा. रुपये में कमजोरी के चलते टूर पैकेज सस्ते हो जायेंगे. देश में स्ते टूर पैकेज के चलते विदेशी सैलानी ज्यादा आयेंगे.

 

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