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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सीएम केजरीवाल के खिलाफ मामला दर्ज

नई दिल्ली। देश में नए संसद भवन बन कर तैयार है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 28 मई को इसका उद्घाटन किया जाएगा। लेकिन नए संसद भवन के उद्घाटन से पहले सत्तापक्ष और विपक्षी पार्टियों के बीच जमकर राजनीतक संग्राम छिड़ गया है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक नए विवाद में फंस गए हैं। इन दोनों नेताओं और अन्य के खिलाफ आज एक शिकायत दर्ज की गई है। इन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की जाति का जिक्र कर भड़काऊ बयान देने का आरोप लगे हैं।

दर्ज की गई शिकायत में कहा गया है कि केजरीवाल-खरगे और अन्य खिलाफ समुदायों/समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के इरादे से नए संसद भवन के उद्घाटन के आयोजन के संबंध में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की जाति का हवाला देते हुए भड़काऊ बयान देने के लिए शिकायत दर्ज की गई है। अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए भारत सरकार के लिए अविश्वास पैदा करना जो धारा 121,153ए, 505 और 34 आईपीसी के तहत एक अपराध है।

खरगे का बयान
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को इनवाइंट नहीं करने पर केंद्र सरकार पर हमला बोला था। खरगे ने कहा था कि ऐसा लगता है कि मोदी सरकार दलित और जनजातीय समुदायों से राष्ट्रपति केवल चुनावी वजहों से बनाती है।

खरगे ने कहा कि जब शिलान्यास हुआ था तब तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को निमंत्रण नहीं दिया गया था। अब नए संसद भवन के कार्यक्रम में द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित नहीं किया गया है।
खरगे ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देश की प्रथम नागरिक हैं। वह अकेले सरकार और विपक्ष के साथ ही हर नागरिक का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने कहा कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति करतीं तो ये लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सरकार के कमिटमेंट का प्रतीक होता है।

जानें क्या बोले थे केजरीवाल
वहीं, अरविंद केजरीवाल ने उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को नहीं बुलाने पर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि दलित समाज पूछ रहा है कि क्या उन्हें अशुभ मानते हैं, इसलिए नहीं बुलाते? केजरीवाल ने मोदी सरकार पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अपमान का आरोप भी लगाया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा थाकि राम मंदिर के शिलान्यास पर भी तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नहीं बुलाया गया था और न ही नए संसद के शिलान्यास कार्यक्रम में बुलाया गया है।

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